________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र 41 दूंगी। तू उस मंत्रित छड़ी से तीन बार अपने पति के शरीर को स्पर्श कर इससे सुबह तक तेरा पति नींद से जागेगा ही नहीं। सास की आज्ञा के अनुसार गुणावली महल के पीछे स्थित उद्यान में गई और कनेर के पेड़ की पतली छोटी छड़ी ले आई।उसने वह छड़ी सास के हाथ में दे दी। सास ने उस छड़ी को मंत्रित कर के वह छड़ी फिर गुणावली को दे कर कहा, "ले, यह छड़ी। अब तू तेरे महल में चली जा और इस छड़ी से तेरे सोए हुए पति को तीन बार स्पर्श कर के तुरन्त लौट आ जा।" इधर राजा चंद्र ने छिप कर सार-बहु की ये सारी बातें सुनी थी। इसलिए वह तुरन्त वहाँ से छिप कर चल निकला और गुणावली के महल में जा कर उसकी बनाई सुकोमल शय्या पर पहले की तरह सो गया / अर्थात उसने सो जाने का दिखावा किया / कुछ ही देर बाद गुणावली तेजी से वह कनेर की मंत्रित छड़ी ले कर अपने महल में आ पहुँची। पतिदेव को गाढ़ी. नींद सोते देख कर वह बिल्ली की तरह धीरे-धीरे कदम उठाते हुए पतिदेव की शय्या के पास आ गई। उसने साहस करके उस छड़ी से राजाचंद्र के शरीर को तीन बार स्पर्श किया। कितना बडा साहस किया था गुणावली ने ? जहाँ स्वार्थ सिद्ध होनेवाला होता है वहाँ साहस, शौर्य, शक्ति अपने आप प्रकट होते हैं। राजा चंद्र ने नींद का तो बस दिखावा ही किया था। उसने गुणावली को जो कुछ करना था, वह सब करने दिया। आँखे मूंदी हुई रख कर वह गुणावली का सारा नाटक देखता जा रहा था / गुणावली ने सास वीरमती के कहने के अनुसार तीन बार उस कनेर की मंत्रित छड़ी से पतिदेव के शरीर को स्पर्श किया और वह तुरन्त वहाँ से भाग कर वीरमती के पास लौट आई। अब राजा चंद्र पूरी तरह समझ गया कि मेरी पत्नी गुणावली अपनी सास वीरमती की आज्ञा के अनुसार सबकुछ कर रही है। _बड़ा विकट कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर गुणावली लौट आई थी, इसिलिए सास. वीरमती ने उसके पराक्रम की जी भर प्रशंसा की और उसकी पीठ ठोकी / गुणावली के महल से बाहर निकलते ही चंद्रराजा भी अपनी दिखाने की नींद त्याग कर झट आसन पर से उठा और अपनी तलवार लेकर गुणावली के पीछे-पीछे उसकी नज़र बचा कर गुप्त रीति से वीरमती के महल के पास आ पहुँचा / वह वीरमती के महल के दरवाजे के निकट छिप कर ऐसा खड़ा रहा कि अंदर सासबहू के बीच अगली योजना के बारे में जो परामर्श चल रहा था, वह सब सुनाई दे। राजा कान देकर दोनों के बीच अंदर चल रही सारी बातें सुनता जा रहा था। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust