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बृहत्कल्पसूत्रभाष्य : एक सांस्कृतिक अध्ययन
शूर्पारक
सोप्पारय वर्तमान सोपारा, जिला ठाणा, महाराष्ट्र नगर व्यापार का बहुत बड़ा केन्द्र था और यहाँ बहुत से व्यापारी रहते थे। ६ भृगुकच्छ और सुवर्णभूमि (वर्मा) के साथ इस नगर का व्यापार होता था।७।।
शूर्पारक नगर का राजा व्यापारियों (नेगम) से कर वसूल करने में जब असमर्थ हो गया तो अपने शुल्कपालों को भेजकर उसने उनके घर जला देने का आदेश दिया।८ ताम्रलिप्ति
ताम्रलिप्ति एक द्रोणमुख था जहाँ जल और थल दोनों रास्तों से व्यापार होता था। यह वंग प्रदेश की राजधानी थी।४९ पुरिसपुर
यह गांधार देश का एक नगर था। एक बार पाटलिपुत्र के राजा मुरुण्ड ने यहाँ एक दूत भेजा था।५० तोसलि
तोसलि प्राचीन कलिंग देश का प्रमुख नगर था। यहाँ जैन धर्म का काफी प्रसार हुआ था। जैनधर्म का महान् पोषक सम्राट खारवेल यहीं का शासक था। बृहत्कल्पभाष्य में इसका कई स्थलों पर विभिन्न संदर्भो में उल्लेख हुआ है। यहाँ के निवासी फल-फूल के बहुत शौकीन थे।५१ यहाँ पर काफी वर्षा होती थी जिससे फसलें कभी-कभी नष्ट हो जाती थीं। ऐसी परिस्थिति में जैन साधुओं के लिए नारियल के फल खाकर जीवित रहने का निर्देश दिया गया है।५२ यह क्षेत्र तालाबों के लिए भी प्रसिद्ध था।५३
उपर्युक्त नगरों के अतिरिक्त निम्न नगरों का केवल उल्लेख मात्र हुआ हैकांची (वर्तमान कांचीपुरम)५४ कुसुमपुर (प्राचीन पाटलिपुत्र)५५ तुरुमिणि'६, पुष्पपुर,५७ (पेशावर), पोयणपुर-८, (पोतनपुर) और पइट्ठाण (प्रतिष्ठानपुर)।५९
ग्राम
प्राचीन काल से ही भारत के अधिकांश लोग ग्रामों में निवास करते थे और नगरों में निवास करने वाले भी किसी न किसी रूप में ग्रामों से जुड़े रहते