Book Title: Bruhat Kalpsutra Bhashya Ek Sanskritik Adhyayan
Author(s): Mahendrapratap Sinh
Publisher: Parshwanath Vidyapith
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आर्थिक जीवन
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९५. संघदासगणि -वसुदेवहिण्डी, १.१४८ ९६. 'पाउलि मुरूंड दूते प्रसिनपुरे सचिवमेलणाडडवासे'। -बृहत्कल्पसूत्रभाष्य,
गा. २२९१ ९७. वसुदेवहिण्डी, २.२०९ ९८. संघदासगणि -वसुदेवहिण्डी, १.४२ ९९. 'कमेण अतिण्णा मो सिन्धुसागरसंगम नदिं वच्चायो उत्तरपुव्वंदिसं भयमाण
अतिगचिया हूण-खस-चीण-भमिओ' -संघदासगणि -वसुदेवहिण्डी, १.१४८ १००. उत्तराध्ययन, २१.२,४ १०१. स्वर्णभूमि की पहचान वर्मा, कमलपुर की कम्बोडिया, यवद्वीप की जावा से
सिंहलद्वीप की लंका से यवणद्वीप की सिकन्दिया से बब्बर की पहचान बार्बरिकम
से की जाती है। -संघदासगणि-वसुदेवहिण्डी, १.१४६ १०२. बृहत्कल्पसूत्रभाष्य, गा. ५६१८ १०३. वही, गा. ५६१९ से ५६६४ १०४. वही, गा. २३९७, नि.चू., १६.५३२३ में कहा है
'सगडपक्खसारिच्छं जलजाणं कोचंवीरगं'। १०५. निशीथभाष्य,पीठिका १८३। नि.सू. १८.१२-१३ में चार प्रकार के नावों का
उल्लेख है- उर्ध्वगामिनी, अधोगामिनी, योजनवेलागामिनी और
अर्धयोजनवेलागामिनी। १०६. बृहत्कल्पसूत्रभाष्य, गा. २३००, राजप्रश्नीयसूत्र, १० १०७. वही, गा. ३०७३ भा. टीका (हरिभद्र), पृ. ३८४; ज्ञाताधर्मकथा, १५, पृ. १६० ___ तथा फल जातक, १, पृ. ३५२, आदि; अपण्णक जातक (१), पृ. १२८ आदि;
अवदानशतक २, १३, पृ. ७१ १०८. बृहत्कल्पसूत्रभाष्य, गा. ३१७१ १०९. वही, गा. ३१७१ ११०. वही, वृत्ति; पृ. १०९० १११. वही, पृ. ३४२ ११२. वही, गा. १०९० ११३. वही, गा. ४२५ ११४. बृ.क.भा. वृत्ति, भाग-२, गा. १२३९

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