________________
८६
बृहत्कल्पसूत्रभाष्य : एक सांस्कृतिक अध्ययन
चोरों के भय से लोग रास्ता बन्द कर देते और मुख्य-मुख्य रास्तों पर स्थान पालक रक्षा करते थे।३९ साध्वियों के अपहरण की घटना का उल्लेख अन्य जैन ग्रन्थों में भी हुआ है।
इसके अतिरिक्त वे स्त्री-पुरुष का भी अपहरण कर लेते थे। एक बार उज्जैनी के किसी सागर के पुत्र का हरण कर चोरों ने उसे एक रसोइये के हाथ बेच दिया।१ मालवा के तो वोधिक चोर प्रसिद्ध थे वे मालव पर्वत पर रहते थे।४२
चोरी और व्यभिचार की भाँति हत्या भी महान् अपराध गिना जाता था। हत्या करने वाले अर्थदण्ड (जुर्माना) और मृत्युदण्ड के भागी होते थे।
उग्गिण्णम्मि य गुरुगो, दंडो पडियम्मि होइ भयणा उ।
एवं खु लोइयाणं, लोउत्तरियाण वोच्छामि ।।३
कभी-कभी मंत्री आदि भी राजाओं के कोपभाजन हो जाया करते थे। बृहत्कल्पभाष्य में उल्लेख है कि एक बार पैट्ठाण का राजा शालिवाहन अपने सेनापति को मथुरा पर विजय का आदेश दिया। सेनापति यह नहीं समझ सका कि उसे उत्तर की अथवा दक्षिण की मथुरा पर विजय प्राप्त करनी है। अतः उसने दोनों को विजित कर राजा को सूचना दे दी। इसी समय राजा को पुत्र पैदा होने तथा खजाना प्राप्त होने की भी सूचना मिली। इससे राजा खुशी के मारे पागल हो गया और वह अपने महल की शय्या, स्तंभ आदि तोड़ने लगा। यह देखकर उसका मंत्री भी राजा को होश में लाने के लिए महल की कुर्सियाँ आदि तोड़ा डाला और कहने लगा कि यह राजा की करतूत है। जब इसकी सूचना राजा को मिली तो वह गुस्से से लाल हो गया और मंत्री को मृत्युदण्ड का आदेश दे दिया। किसी प्रकार दूसरे अधिकारी उसको छुपा दिये और उसकी जान बच गई। इसी प्रकार चन्द्रगुप्त जब पाटलिपुत्र के राज्य पर अभिषिक्त हुआ तो कतिपय क्षत्रिय लोग उसे मयूरपोषकों की सन्तान समझकर उसकी अवहेलना करने लगे। इस पर क्रोधित होकर उसने क्षत्रियों के गाँवों में आग लगवा दी।५ कोई वैद्य किसी राजपुत्र को निरोग न कर सका अतएव उसे भी अपने जान गवाने पड़े।६ ___ चोरी का पता लगाने के लिए विविध उपायों को काम में लिया जाता। साधु दो प्रकार के चावल बांटते- एक खालिस चावल और दूसरे मोरपंख मिश्रित चावल। कोई साधु सब गृहस्थों को एक पंक्ति में बैठाकर उनकी अंजलि में पानी डालता। फिर जिस साधु ने चोर को चोरी करते हुए देखा है उसे खालिस चावल देता, और जिसने चोरी की है उसे मोरपंख मिश्रित चावल देता।७