Book Title: Bruhat Kalpsutra Bhashya Ek Sanskritik Adhyayan
Author(s): Mahendrapratap Sinh
Publisher: Parshwanath Vidyapith

View full book text
Previous | Next

Page 131
________________ १२२ बृहत्कल्पसूत्रभाष्य : एक सांस्कृतिक अध्ययन काष्ठमय, कटक यानी वंशदलादिमय और कण्टिका यानी बबूल आदि काँटेदार वृक्ष से युक्त। प्राचीर खाट, सर, नदी, गर्त और पर्वत से घिरा होता था।२५ प्रासाद निर्माण धनी और सम्पन्न लोगों के लिए ऊँचे प्रासाद (अवतंसक) बनाये जाते थे। राजगृह पत्थर और ईटों से निर्मित अपने भवनों के लिए प्रसिद्ध था।२६ टीका ग्रंथों में सात तल वाले प्रासादों का उल्लेख मिलता है। प्रसादों के शिखर गगनतल को स्पर्श करते थे, मणि, कनक और रत्नों से निर्मित होने के कारण चित्रविचित्र मालूम होते थे। उनके ऊपर वायु से चंचल पताका फहरा रही थी तथा छत्र से वे अत्यन्त शोभायमान जान पड़ते थे।२८ धार्मिक स्थापत्यकला ___ धार्मिक इमारतों में देवकुलों का उल्लेख हुआ है जिनमें यात्री आकर रुकते थे। इस प्रकार की वसति का निर्माण करने के लिये पहले दो धरन (धारणा) रक्खे जाते थे, उन पर एक खंभा (पट्टीवंस) तिरछा रखते थे। फिर दो धरनों के ऊपर दो-दो मूलवेलि (छप्पर का आधारभूत स्तम्भ) रक्खी जाती थी। तत्पश्चात् मूलवेलि के ऊपर बाँस रक्खे जाते और पृष्ठवंश को चटाई से ढक कर रस्सी बाँध दी जाती। उसके बाद उसे दर्भ आदि से ढक दिया जाता, मिट्टी या गोबर का लेप किया जाता और उसमें दरवाजा लगा दिया जाता। पट्टीवंसो दो धारणाउ चत्तारि मूलवेलीतो। मूलगुणेहिं उवहया, जा सा आहाकडा वसही। .. वंसग कडणोक्कंचण छावण लेवण दुवार भूमी य । सप्परिकम्मा यसही, एसा मूलोत्तरगुणेसु ॥२९ चैत्य-स्तूप चैत्य को स्तूप भी कहते हैं। बृहत्कल्पभाष्य में चैत्य के निम्न चार प्रकार बताये गये हैं- साहम्मिय, मंगल, सासय और भत्तिा३° साहम्मिय चैत्य स्वधर्मियों के लिये बनाया जाता था। मंगल चैत्य शुभ देने वाला होता था। सासय चैत्य शाश्वत होते थे। भत्ति चैत्य सर्वसाधारण के पूजा-उपासना के लिए बनाया जाता था। बौद्धों को इस प्रकार का विभाजन अमान्य है। उन्होंने चैत्य के शारीरिक, उद्देशिक और पारिभोगिक ये तीन प्रकार बतलाये हैं।३१

Loading...

Page Navigation
1 ... 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146