Book Title: Bruhat Kalpsutra Bhashya Ek Sanskritik Adhyayan
Author(s): Mahendrapratap Sinh
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 72
________________ आर्थिक जीवन श्रेणियाँ 'बृहत्कल्पभाष्य' के अनुसार उन दिनों व्यापार के मार्ग सुरक्षित नहीं थे, रास्ते में चोर-डाकुओं और जंगली जानवरों आदि का भय बना रहता था, इसलिए व्यापारी लोग एक साथ मिलकर किसी सार्थवाह को अपना नेता बनाकर परदेश यात्रा के लिए निकलते थे। उसे श्रेणी-प्रश्रेणियों का मुखिया माना जाता था।१२१ शिल्पकारों की श्रेणियों की भाँति व्यापारियों की भी श्रेणियाँ थीं जिनमें नदी या समुद्र से यात्रा करने वाले व्यापारी सार्थवाह शामिल होते थे। कितने ही सार्थों के उल्लेख मिलते हैं जो विविध माल-असबाब के साथ एक देश से दूसरे देश में आते-जाते रहते थे। श्रेणियों की गणना प्रमुख राजपुरुषों में की गयी है, धनुर्विद्या और शासन में वह कुशल होता था।१२२ आयात-निर्यात 'बृहत्कल्पभाष्य' में आयात-निर्यात से सम्बन्धित विपुल सामग्री मिलती है। पूर्व से आने वाला वस्त्र लाट देश में आकर ऊँची कीमत पर बिकता था।१२३ चीन१२४ से विविध प्रकार के वस्त्र आते थे। महाराष्ट्र में ऊनी कम्बल अधिक कीमत पर बिकते थे।१२५ नेपाल, ताम्रलिप्त, सिन्धु और सौवीर के कपड़े अच्छे माने जाते थे।१२६ मूल्य निर्धारण आज की भाँति मांग और पूर्ति के अनुसार वस्तुओं के मूल्य निश्चित किये जाते थे। जिस वस्तु की मांग अधिक हो और पूर्ति कम हो पाती थी उस वस्तु का मूल्य बढ़ जाता था। उत्सवों और पर्यों पर मांग के अनुसार वस्तुओं के उपलब्ध न हो पाने से उनके मूल्य बढ़ जाते थे।१२७ 'बृहत्कल्पभाष्य' से ज्ञात होता है कि सामूहिक भोज एवं मेला के अवसर पर दूध का मूल्य बढ़ जाता था।१२८ इसी प्रकार इन्द्र महोत्सव के समय फूल-मालाओं की बड़ी मांग होती थी इस कारण उन दिनों उनका मूल्य बढ़ जाता था। 'बृहत्कल्पभाष्य' में एक माली का उल्लेख हुआ है जिसमें इन्द्रमहोत्सव के कुछ दिन पहले ही अपनी फुलवारी से फूल चुनना बन्द कर दिया था ताकि वह उत्सव वाले दिन अधिकाधिक फूल ऊँचे मूल्य पर बेचकर अधिक लाभ अर्जित कर सके।१२९ सुलभता और दुर्लभता के आधार पर किसी वस्तु के मूल्यों का निर्धारण किया जाता था।१३० वस्तुओं के मूल्य वृद्धि को रोकने के लिये उनका निर्यात बन्द कर दिया जाता था।

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