Book Title: Bruhat Kalpsutra Bhashya Ek Sanskritik Adhyayan
Author(s): Mahendrapratap Sinh
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 53
________________ ४४ बृहत्कल्पसूत्रभाष्य : एक सांस्कृतिक अध्ययन ११. बृहत्कल्पभाष्य, गा. ३१७८ १२. वही, पीठिका पृ. ५९१ १३. धनमित्र के हाथीदांत का व्यापार करने का उल्लेख मिलता है। आवश्यक चूर्णि २, पृ. १५४ १४. वही, गा. ५६३९ १५. वही, गा. ६३०५ १६. विस्तार के लिए देखिए- रामशरण शर्मा, 'शूद्राज इन एंशियेंट इण्डिया' १७. बृहत्कल्पभाष्य, गा. २८८५ १८. वही, गा. ३८३० १९. वही, गा. ६१३ २०. वही, गा. २८८३ २१. वही, गा. १०९७ २२. जगदीशचन्द्र जैन, जैनागम साहित्य में भारतीय समाज, पृ. २३२ २३. बृहत्कल्पभाष्य, पृ. ४०४ व १४०८ २४. पिण्डनियुक्ति टीका, ५०९ २५. जगदीश चन्द्र जैन, जैनागम साहित्य में भारतीय समाज, पृ. २५३ २६. बृहत्कल्पभाष्य, गा. ३४४६। २७. वही, पीठिका गा. १७२, पृ. ५७ २८. वही, पीठिका गा. १५५-५९ २९. आवश्यकचूर्णि, पृ. १५३ ३०. बृहत्कल्पभाष्य, गा. ३९५९ आदि ३१. वही, गाथा ५७६१ ३२. वही, गा. ५१४७ टीका। ३३. वही, पीठिका गा., ४१३ ३४. डॉ. जयशंकर मिश्र- प्राचीन भारत का सामाजिक इतिहास, विहार हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, १९८०, पृ. ३८३ ३५. जाया पितिव्या नारी दत्ता पतिव्वसा। विहवा पुत्तवसा नारी नत्थि नारी सयंवसा ।। -व्यवहारभाध्य, ३.२३३ ३६. बृहत्कल्पभाष्य, गा. १२५९

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