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अध्यापक महाशयोंसे प्रार्थना ।
महाशय। लीजिये "बालबोध जैनधर्म दूसरा भाग" आपकी भेंट है, भाशा है कि इसको भी आप पहिले भागकी तरह नबीन रीलानुसार चालकोंको पढ़ायेंगे । हमने इस पुस्तकमें कठिन बातों का सरल भाषामें ऐसी रीतिसे लिखनेका प्रयास किया है कि जिससे गेल-तमागे के तौरपर हरएक छोटी छोटी उमरके बालकोंको समझमें सा जाय और उनको विषयके जानने में कुछ भी कठिनता न हो, गिरी व बडे होकर चाके मूल विषयों को सहजमें ही समझने लग IIT | इस कारण आपसे पूर्ण आशा है कि हमारे उद्देश्यों पर विचार
था उनको निज उद्देश बनाकर हमको अनुगृहीत करेंगे।