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२ जीवोंको मारकर अथवा मरे हुए जीवाका कलेवर खाना, मांस खाना कहलाता है । मांस खानेवाले हिंसक और निर्दयी कहलाते हैं।
३ शराव, भाग, चरस, गॉजा वगैरह नशीली चीजोका सेवन करना मदिरापान कहलाता है । इनके सेवन करनेवाले शरावी और नशेवाज कहलाते हैं। शरावियोंके धर्म कर्म और भल बुरेका कुछ भी विचार नहीं रहता । उनका ज्ञान विचार नष्ट हो जाता है । औरोकी तो क्या घरके लोग भी उनपर विश्वास नहीं करते ।
४ जंगलके रीछ, वाघ, मृअर हिरण वगैरह स्वछंद फिरनेवाले जानवरोंको तथा उड़ते हुए छोटे छोटे पक्षियोको अथवा और किसी जीवको बन्दूक वगैरह हथियारोसे मारना शिकार खेलना कहलाता है । इस बुरे कामके करनेवालोके महान् पापका बंध होता है। इन पापियोंके हाथमे बन्दुक वगैरह देखते ही जंगलके जानवर भयभीत हो जाते हैं। _ ५ वेश्या ( वाजारकी औरत ) से रमनेकी इच्छा करना। उसके घर आना जाना, उससे अतिशय प्रीति रखना, वेश्याव्यसन कहलाता है। वेश्या व्यभिचारिनी स्त्री होती हैं। उससे सम्बन्ध रखनेसे ही मनुष्य व्यभिचारी हो जाता है । व्यभिचारसे बुरे काका बन्ध होता है, वेश्यागमनसे अनेक प्रकारके दुःसाध्य रोग भी हो जाते हैं, इसके सिवाय वेश्यासेवन करनेसे मा वहिन सेवन करनेका पाप भी लगता है, वसंततिलका