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५ एक अगरेजने जूनागढके जगल्में एक बड़ा शेर माग, बताओ उसको पुण्य हुआ या पाप ? यदि पाप हुआ तो कौनमा ?
६ वसततिलका वेश्याकी कथा नुनी हो तो एक ही भनमें १८ नाते मे हुए।
७ सबसे बुरा व्यसन कोनसा है और ऐसे ऐसे कोन कोन व्यमन है जिनमें हिंसाका पाप लगता है ?
८ परस्त्रीसेवन करनेसे माता बहिन मेवन करनेका पाप क्यों लगता है ?
पाँचवाँ पाठ।
आठ मूलगुण मूलगुण मुख्य गुणोको कहते है। कोई भी पुरुष जबतक आठ मूलगुण धारण नहीं करता; तबतक श्रावक नहीं कहला सकता है, श्रावक बननेके लिए इनको धारण करना बहुत जरूरी है। मूलनाम जड़का है, जैसे जड़के विना पेड़ नही ठहर सकता, उसी प्रकार विना मूलगुणोके श्रावक नहीं हो सकता। __ श्रावकक ये आठ मूलगुण है-तीन मकारका त्याग, अर्थात् मद्य त्याग, मांस त्याग, मधुका त्याग और पाँच उदुम्बर फलोका त्याग।
१ शराब वगैरह मादक वस्तुओके सेवन करनेका त्याग करना मद्यत्याग है । अनेक पदार्थों को मिलाकर और उनको सड़ाकर शराब बनाई जाती है । इस कारणसे उसमे बहुत जल्दी असं ख्यात जीव पैदा हो जाते हैं और उसके सेवन करनेमे जीवोकी महान् हिंसाका पाप लगता है। इसके सिवाय उसको पीकर आदमी पागलसा हो जाता है, और तो क्या शरावियोके