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१ अशुभ-इस नामकर्मके उदयसे शरीरके अवयव (हिस्से ) भद्दे होते हैं।
१ सुभग-इस नामकर्मके उदयसे दूसरे जीवोंको अपनेसे मीति होती है।
१ दुर्भग—इस नामकर्मके उदयसे दूसरे जीव अपनेसे अभीति वा वैर करते हैं।
१ सुस्वर- इस नामकर्मके उदयसे स्वर अच्छा होता है।
१ दुःस्वर-इस नामकर्मके उदयसे स्वर अच्छा नहीं होता है।
१ आदेय-इस नामकर्मके उदयसे शरीरपर प्रभा और कांति होती है।
१ अनादेय-इस नामकर्मके उदयसे शरिपर प्रभा और कांति नहीं होती है।
१ यशःकीर्ति-इस नामकर्मकं उदयसे जीवकी संसारमें प्रशंसा और कीर्ति ( नामवरी ) होती है ।
१ अयशाकीर्ति-इस नामकर्मके उदयसे जीवकी कीर्ति नहीं होने पाती है।
१ तीर्थकर-इस नामकर्मके उदयसे जीवको अरहंत पट मिलता है अर्थात् वह तीर्थकर होता है।
गोम धर्म। गोत्र फर्मके २ भेद:-१ गोत्र २ नाचगांत्र ।
उच्च गोर उसे कहने । जिन उदय जीव टोरमान्य ऊँचे फुलमें पैदा रो।