Book Title: Balbodh Jain Dharm Part 01
Author(s): Dayachand Goyaliya
Publisher: Daya Sudhakar Karyalaya

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Page 126
________________ (५२) प्रश्नावली। १ प्राण कितने होते हैं ? जीवमें ही होते हैं या अजीव में भी ? देव, पचेन्द्रिय, असैनी, तिर्यंच, वृक्ष, नारकी, स्त्री, मक्खी और चींटीके कौन कौन प्राण हैं ? २ प्राण रहित पदार्थोंके कितने मेद है नाम सहित बताओ? ३ भावात्रव, द्रव्यास्रव तथा भावनिर्जरा, द्रव्य निर्जराम, क्या भेद है, उदाहरण देकर बताओ तथा यह भी बताओ कि जहाँ भावास्रव होता है, वहाँ द्रव्यास्रव होता है या नहीं ? ४ बंध किसे कहते हैं ? इसके कौन कौन कारण हैं ? और ऐसे कौन कौन कारण हैं जिनसे बन्ध नहीं होता ? ५ निर्जरा और मोक्षमें क्या फरक है ? पहले निर्जरा होती है या मोक्ष ? ६ मिथ्यात्व, योग, गुप्ति, आदाननिक्षेपणसमिति, अनुप्रेक्षा, चारित्र, अदर्शनपरीषहजय, लोकभावना, संशयमिथ्यात्वसे क्या समझते हो? ७ बताओ इन साधुओंने कौन परीषह सहन की ? (क) एक तपस्वी गर्मी के दिनोंमें दोपहरके समय एक पहाड़पर ध्यान लगाये बैठे हैं । प्याससे गला सूख गया है, ढाई घटे हो गये हैं, बराबर एक ही आसनसे बैठे हैं। (ख) सुकुमालका आधा शरीर गीदडने खा लिया। (ग) एक मुनि महाराजको एक दुष्ट राजाने पकड़वाकर कैदमें डलवा दिया, वहॉपर एक सॉपने उन्हें काट खाया। (घ) जिस समय रामचन्द्रजी ध्यानारूढ थे, सीताके जीवने स्वर्गसे आकर अपने अनेक हाव भावसे उनको मोहित करनेकी बहुत कुछ कोशिश की, मगर वे अपने ध्यानसे विचलित न हुए। (ड) एक साधु धर्मोपदेश दे रहे थे। कुछ शराबियोंने आकर उनको गालियाँ दी और उनपर पत्थर बरसाये। (च) राजा श्रेणिकने एक मुनिके गलेमें मरा हुआ साँप डाल दिया था जिसके सम्बन्धसे बहुतसे कीड़े मकोड़े उनके शरीरपर चढ गये।

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