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७ क्या सब ही प्रतिमाओं पर चिन्ह होते हैं ? जिस प्रतिमापर चिन्ह न हो उसे तुम किसकी कहोगे ?
८ यदि प्रतिमाओं पर चिन्ह नहीं हों तो क्या कठिनाई होगी ?
९ यदि अजितनाथ भगवानकी प्रतिमापरसे हाथीका चिन्ह उठाकर गॅडेका चिन्ह बना दिया जावे, तो बनाओ उसे कौनसे भगवान की प्रतिमा कहोंगे ? १० सॉथियाका आकार लिखकर बताओ ?.
चौथा पाठ |
सप्त व्यसन ।
व्यसन उन्हे कहते हैं जो आत्माके स्वरूपको भुला देवें, तथा आत्माका कल्याण न होने देवें । किसी भी विषय में लवलीन होनेको व्यसन कहते हैं । यहाँ बुरे विषय में लवलीन होना । ही व्यसन है । व्यसन सेवन करनेवाले व्यसनी कहलाते हैं । और लोकमें बुरी दृष्टिसे देखे जाते हैं ।
व्यसन सात हैं – १ जुआ खेलना, २ मांस खाना, ३ मदिरापान करना, ४ शिकार खेलना, ५ वेश्यागमन करना, ६ चोरी करना, और ७ परस्त्री सेवन करना ।
१ रुपये पैसे और कोड़ियों वगैरहसे नक्की मूठ खेलना और हार जीतपर दृष्टि रखते हुए शर्त लगाकर कोई काम करना जुआ कहलाता है । जूआ खेलनेवाले जुआरी कहलाते हैं जैसे अफीम आदिके १-२-३ आदि अंकोपर सरत लगाना । जुआरी लोगों का हर जगह अपमान होता है । जातिके लोग उनकी निंदा करते हैं और राजा उन्हें दण्ड देता है । जूआ खेलनेवालेको अन्य समस्त व्यसनोमे जबरन फँसना पड़ता है ।