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बालयोग जैन -गर्म ।
इसलिये
मालिककी आना विन कोग। चीज गहे यो चोरी होय ॥ तान आज्ञा बिन मन गहा।
चोरीसे नित डरत रही ।। ४-कुशील-पराई स्त्रीके माथ रमनेको कुगील कहते हैं। इस पापके करनेवालोंको व्यभिचारी, जार, लुचा, बदमाश कहते हैं, और वे लोकमें बुरी नजरसे देखे जाते हैं।
इसलिये
परदाराके नेह न लगी ।
इमसे तुम दूरहिनै भगो॥ ५-परिग्रह-जमीन, मकान, धन, धान्य, गौ, बैल, हाथी, घोड़े, वस्त्र, वर्तन, जेवर इत्यादि चीजोसे मोह रखना
और इन्हीं संसारी चीजोके इकट्ठे कग्नेमें लालसा रखना, सो परिग्रह है। इस पापके करनेवालोंको लोभी, बहुधंधी और कस कहते हैं । इमलिये--
धन गृहादिमें मूर्छा हगे। इनका अति संग्रह मत करो ॥