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विसर्जनपाठ।
दोहा। विन जाने वा जानके, रही टूट जो कोय । तुम प्रसादतें परमगुरू, सो सब पूरन होय ॥ १॥ पूजन विधि जानें नहीं, नहिं जानें आव्हान ।
और विसर्जन हू नहीं, क्षमा करो भगवान ॥२॥ मंत्रहीन धनहीन हूँ, क्रियाहीन जिनदेव । क्षमा करहु राखहु मुझे, देव चरणका सेव ॥३॥ आये जो जो देवगण, पूजे भक्तिप्रमान । ते अब जावहु कृपाकर, अपने अपने थान ।। ४ ॥
प्रश्नावली। १-पूजनसे क्या समझते हो-और पूजनके लिए किन किन चीजोंकी जरूरत है । पूजनके अष्टद्रव्योंके नाम बताओ?
२-पूजनके पीछे शातिपाठ क्यों पढा जाता है और पूजनके पहले आव्हान क्यों किया जाता है ? ३-अर्ध किसे कहते हैं और अर्घ कब चढाया जाता है ?
४-अष्टद्रव्य जो चढाये जाते हैं, वे किसी क्रमसे चढाये जाते हैं या जिसे चाहें उसे पहले चढा देते हैं ?
५-पूजा खड़े होकर करना चाहिये या बैठकर पूजा करने वालोंको सबसे पहले और सबसे अन्तमें क्या करना चाहिए ?
६-अष्टद्रव्योंके चढानेके पश्चात् जो जयमाला पढी जाती है उसमें किस वातका वर्णन होता है ?
७-अक्षत और फल चढानेके छद पढो और यह बताओ कि छद पढनेके पश्चात् क्या कहकर द्रव्य चढाना चाहिए ?