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निवेदन
( दूसरी आवृत्तिका ) बालबोध जैनधर्म नामक पुस्तकमालाका चौथा भाग पहले एक बार प्रकाशित हो चुका है। अब पुनः यह भाग सगोषित करके प्रकाशित किया जाता है। इस भागमें 'देवशास्तगुरुपूजा'. पचपरमेष्ठीके मूलगुण' आदि ११ पाठ हैं, जिनको प्रथम तीन भागोंके अनुसार पढना योग्य है।
हमने इस पुस्तकमालाके चारों भागोंमे अत्यन्त सरलताके साथ थोड़े शब्दोंमें जैनधर्मकी कुछ मुख्य मुख्य बातोंका वर्णन किया है। जिनको पढकर जैनधर्मका साधारण ज्ञान हो सकता है और रत्नकरण्डश्रावकाचार, द्रव्यसंग्रह, तत्त्वार्थसूत्र आदि आचार्यों द्वारा प्रणीत शास्त्रोंमें बालक तथा बालिकाओंका अति सुगमतासे प्रवेश हो सकता है और उनके विषयको वे अच्छी तरह समझ सकते हैं ।
हमने यथासम्भव इसके सम्पादन तथा सशोधनमें सावधानी रक्खी है, पहली आवृत्तिमें भाषा कुछ कठिन हो गई थी, उसे भी अबकी बार जहॉतक हो सका सरल करदी है और भी उचित परिवर्तन कर दिये हैं। यदि कहींपर कोई अशुद्धी रह गई हो, तो उसे अव्यापकगण कृपा करके विद्यार्थियोंकी पुस्तकोंमें ठीक करा देवे और हमें भी सूचना देवें कि जिससे अगली आवृत्तिमें अशुद्धियाँ ठीक हो जायें।
लखनऊ
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आपका सेवक दयाचन्द्र गोयलीय बी० ए०
ता० ५-३-१५