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माला जैन म । वेदनीय कम उसे कहते हैं, जो आमाको सुनन दुःरा दे। इस कमके उदयसे समारी जीवनी यी चीजोका मिलाप होता है जिसके कारण वह मुन दान्त माल मा करते हैं। जैसेशहद लपेटी नलवारकी धार बाटने का दावा दोनो होने है । अर्थात शहद मीठा लगता है, इसमें मुम्ब होता , परंतु तलवारकी धाग्म जीभ कट जाती है उसमे दर होता है । हमी प्रकार वेदनीय कम मुग्म दुःर दान देता है। प्रकाशचन्द्रने लड्डू खाया, अन्छा लगा और में कांटा गट गया, दुःख हुआ-दोना ही हालतले वेदनीय कर्मका ही उद्ध समझना चाहिये । जिमसे मुन्द्र होता है. उसे नातावेदनीय कहते है।
दुःख करना, गोक करना, पश्चानाप करना, गना; माग्ना, पीटना ऐसे कमासे अमाता (दुःख देनेवाले) वेदनीय कर्मका बंध होता है।
मर जीवापर दया करना. व्रत पालना, लोभ नहीं करना, क्षमा धारण करना, दान देना, ऐसे कामोसे साता ( सुख देनेवाले ) वेदनीय कर्मका वध होता है।
___ मोहनीय कम उसे कहते है, जिसके दयसे यह आत्मा अपनेको भूल जाय और अपनेसे जुदी चीजोमें लुभा जाये । जसे-शराब पीनेवाला शगर पीकर अपनेको भूल जाता
१-परीक्षाम अथवा और किसमें सफलता न होने पर अथवा किमीत
म
हार जानपर पछताना ।