________________
२०]
बाबोस जैन मम ।
६ – किसी ऐसी नीजका नाम लो जिसमें सफेद रूप हो, fare स्पर्श हो, खट्टा रस हो और गंग कुछ दूरी हो ।
७ छ. द्रव्योंमें कौन कौन
रूपी हैं।
छठा पाठ ।
आठ कर्म ।
कर्म उन्हें कहते हैं, जो आत्माका असली स्वभाव प्रकट न होने दें। जैसे बहुतमी धूल मिट्टी उड़कर सूरजकी गंशनीको ढक देती है, उसी प्रकार बहुतसे पुल परमाणु ( छोटे २ टुकड़े ) जो इस आकाशमें सब जगह भरे हुए हैं- आत्मामें क्रोध आदि कषाय उत्पन्न होनेसे आत्मा के प्रदेश के साथ मिलकर आत्माका स्वरूप टक देते हैं । कषायके सम्वन्धसे उनमें सुख दुख वगैरह देनेकी शक्ति भी हो जाती है, इसलिए उनको कर्म कहते हैं ।
कर्म आठ हैं - ज्ञानावरणी, दर्शनावरणी, वेदनीय, मोहनीय, आयु, नाम, गोत्र और अन्तराय ।
ज्ञानावरणी कर्म उसे कहते हैं, जो आत्मा के ज्ञान गुणको प्रकट न होने दे। जैसे - एक प्रतिमा पर परदा डाल दिया गया, अब वह परदा प्रतिमाको ढके हुए हैं- प्रकट नहीं होने देता । इसी प्रकार ज्ञानावरणी कर्म ज्ञानको ढक लेता -है, प्रकट नहीं होने देता । जैसे मोहन अपना पाठ खूब