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बालबोध जन धर्म |
पाँचवाँ पाठ |
प. रस, गन्ध, स्पी
रूप, रस, गंध और स्पर्श ये पुलके गुण है। ये मदा पुलमें ही पाये जाते है । पुलको छोड़कर और किसी व्य नहीं रहते। ये चारो ही सदा साथ साथ रहते है। जैसे प हुए आममें पीला रूप है, मीठा रस है, अच्छी गन्ध है और कोमल स्पर्श है ।
रूप उसे कहते है, जो नेत्र इन्द्रियसे जाना जाय । वह पांच प्रकारका होता है - कृष्ण (काला), नील (नीला ), रक्त (लाल), पीत (पीला) और श्वेत (सफेद) जैसा - कोयलेमे काला, नीलमें नीला. गेरुमें लाल, सोनेमें पीला और दूधमे सफेद रूप है ।
रूपका दूसरा नाम रंग है । इन रंगो के मिलानेसे और भी कई तरह के रंग हो जाते है। जैसे नीला और पीला रंग मिलानेसे हरा रंग बन जाता है।
रम उसे कहते है, जो रमना (जिह्वा) इन्द्रियसे जाना जाय । रस प्रांच प्रकारका होता है - तिक्त ( तीखा ) अथवा चग, कटु ( कडवा ), कपायला ( कमैला ), अम्ल (खड्डा ) और मधुर ( मीठा ) । जैसे- मिर्च में तीखा, नीममें कडुआ, आंवले में कसैला, नीवृमं खट्टा और गन्ने में मीठा रस होता है ।
गंध उसे कहते है, जो घ्राण ( नासिका ) इन्द्रिय से जानी जाय । गंध दो प्रकारको होती है- सुगंध (खुशवृ) और