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नालगोन जन-प।
३-मनुष्णगति---कोई भी जीन मरकर मनुष्य का नारीर धारण करे, तो उनको मनुगनिमें जन्म लेना कहते है। मनुष्यगतिके जीव पंचेन्द्रिग की होने हैं।
४-देवगति----ऊपर कहे हा नीनो प्रकारके गिनाग एक चौथे प्रकारके जीन होते हैं, जिनको अनेक प्रकारक उत्तमोनम भोगोपभोग प्राप्त होते है, और जो गत दिन गुममे मग्न रहते है, उनको देव कहते है। उन देशों में मरकर जी कोई जीत्र जन्म लेवे, तो उनको देवगतिका होना कहते हैं । इस गतिके जीव पंचेन्द्रिय ही होते है ।
प्रश्नानलो। (१) गति कितनी होती हे नाम सहित बताओ ? (२) सबसे अच्छी गति कौनसी है और मबसे बुरी कौनसी ! (३) नरक कितने हैं । वे जमीनके नीचे है या ऊपर ? कहां रहने -
वालोंको दु ख होता है या सुख ? (४) ये जीव किस गतिमे है-विली, बैल, मच्छी, नारकी, वृक्षा,
मनुष्य, घोडा, वंदर, नौकर, औरत बच्चा, कीडा, देव । (५) एक गाय मरकर मनुष्य होगई, तो बताओ पडिले वह किस
गतिमें थी और फिर किस गतिमें गई ! (६) एक जीव नरसे निकलकर कुत्ता बना, तो बताओ वह अर
अच्छा है या पहिले अच्छा था ? (७) तुम देवगति पसंद करते हो या मनुष्यगति ?
सम्पूर्ण।