________________
बारबोध जैन-धर्म |
६ ]
लोक - चौदह रार्जु उतंगे नभै, लोक पुरुपसंठानें ।
HD HIDI
11TH A
तामें जीन अनादितें, भरमत हैं विन ज्ञान ॥ ११ ॥
जांने सुरतर्फे देव सुख, चितत चितारै । चिन जांचे नि चितये, धर्म सकल सुखदैन ॥ १२ ॥
कर्मचने राजसुख, सबहि सुलभकरें जान । की है गंमार में, एक जथास्थ ज्ञान ॥ १३ ॥
इति वारह भावना |