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आराधना कथा कश
स्वाध्याय या पठन-पाठन न कोजिएगा। जब उनका योग पूरा हुआ तब उन्होंने अपने योग-सम्बन्धी सब क्रियाओंके अन्त में लोकप्रज्ञप्तिका पाठ करना शुरू किया । उसमें उन्होंने अच्युतस्वर्ग के देवोंको 'आयु, उनके शरीरकी ऊँचाई आदिका खूब अच्छी तरह वर्णन किया। उसे सुनकर सुकुमाल को जातिस्मरण हो गया । पूर्व जन्म में पाये दुःखोंको याद कर वह काँप उठा । वह उसी समय चुपके से महलसे निकल कर मुनिराज के पास आ गया और उन्हें भक्ति से नमस्कार कर उनके पास बैठ गया । और मुनिने उससे कहा- बेटा, अब तुम्हारी आयु सिर्फ तीन दिनकी रह गई है, 'इसलिये अब तुम्हें इन विषय-भोगोंको छोड़कर अपना आत्महित करना उचित है। ये विषय भोग पहले कुछ अच्छेसे मालूम होते हैं, पर इनका अन्त बड़ा ही दुःखदायी है । जो विषय-भोगोंकी धुन में ही मस्त रहकर अपने हित की ओर ध्यान नहीं देते, उन्हें कुगतियोंके अनन्त दुःख उठाना पड़ते हैं । तुम समझो सियालेमें आग बहुत प्यारी लगती है, पर जो उसे छूएगा वह तो जलेगा हो । यही हाल इन ऊपर के स्वरूपसे मनको लुभानेवाले विषयोंका है । इसलिये ऋषियोंने इन्हें 'भोगा भुजंगभोगाभा:' अर्थात् सर्पके समान भयंकर कहकर उल्लेख किया है । विषयोंको भोगकर आज तक कोई सुखी नहीं हुआ, तब फिर ऐसी आशा करना कि इनसे सुख मिलेगा, नितान्त भूल है । मुनिराजका उपदेश सुनकर सुकुमालको बड़ा वैराग्य हुआ । वह उसी समय सुख देनेवाली जिनदीक्षा लेकर मुनि हो गया । मुनि होकर सुकुमाल वनकी ओर चल दिया । उसका यह अन्तिम जीवन बड़ा ही करुणासे भरा हुआ है । कठोर से कठोर चित्तवाले मनुष्यों तक हृदयोंको हिला देनेवाला है । सारी जिन्दगी में कभी जिनकी आँखों से आँसू न झरे हों, उन आँखों में भी सुकुमालका यह जीवन आँसू ला देनेवाला है । पाठकोंको सुकुमालकी सुकुमारताका हाल मालूम है कि यशोभद्राने जब उसकी आरती उतारी थी, तब जो मंगल द्रव्य सरसों उस पर डाली गई थी, उन सरसोंके चुभनेको भो सुकुमाल न सह सका था । यशोभद्राने उसके लिये रत्नोंका बहुमूल्य कम्बल खरीदा था, पर उसने उसे कठोर होने से ही नापास कर दिया था । उसकी माँका उस पर इतना प्रेम था, उसने उसे इस प्रकार लाड़-प्यारसे पाला था कि सुकुमालको कभी जमीन पर तक पाँव देनेका मौका नहीं आया था । उसी सुकुमार सुकुमालने अपने जीवन भरके एक रूपसे बहे प्रवाहको कुछ ही मिनटोंके उपदेश से बिलकुल ही उल्टा बहा दिया । जिसने कभी यह नहीं जाना कि घर बाहर क्या है, वह अब अकेला भयंकर जंगलमें जा बसा । जिसने
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