________________
जम्बूस्वामीकी विनती आयु तो अंजुली को पानी काया कांच की शीसी, बिन मांगी जम्बू दिक्षा लीनी, त्याग दियो रे संसारी।
तुम ही परिवारी ॥ बारी वो जम्बू जी ॥ १६ ॥ पांच सत्ताइस जम्ब दिक्षा लीनी, शिवपुर डेरा डराया चरम केवली भया हो जम्बुजी, पहुंचा रे मुकति रे मांहि ।।
तुम ही परिवारी॥ बारी वो जम्बूजी घेरागो तुम ही परिवारी ।। १७ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org