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अंगपण्णत्ति पन्द्रह और चार स्थान में दश-दश वस्तु है। इन सम्पूर्ण वस्तुओं के द्वारा चौदह पूर्व पूर्ण होते ॥ १० ॥
विशेषार्थ पूर्व ज्ञान के चौदह भेद हैं, जिनमें से प्रत्येक में क्रम से दश-चौदह, आठ-अठारह, बारह-बारह, सोलह बीस, तीस, पन्द्रह, दश, दश, दश, दश वस्तु नाम अधिकार है। जैसे उत्पाद पूर्व में दश वस्तु अधिकार हैं। आग्रायणीय पूर्व में चौदह वस्तु अधिकार हैं इत्यादि । पूर्व ज्ञान के पूर्व अर्थात् जब तक पूर्व ज्ञान पूर्ण न हो और वस्तु अधिकार पर एक अक्षर की वृद्धि हो जाती है वे सब मध्यम विकल्प वस्तु समास कहलाते हैं । अर्थात् वस्तु ज्ञान के ऊपर एक-एक अक्षर की वृद्धि के क्रम से पद संघात की वृद्धि होते-होते जब क्रमशः दश वस्तु की वृद्धि हो जाती है तब प्रथम उत्पादपूर्व उत्पन्न होता है। इसके आगे क्रमशः अक्षर पद संघात आदि को वृद्धि होते-होते चौदह वस्तु की वृद्धि हो जाती है तब दूसरा आग्राणीयपूर्व होता है । इसी प्रकार सर्व पूर्व जानना चाहिये ।
पणणउदिसया वत्थू णवयसया तिसहस्सपाहुडया। चउदश पुटवे-सव्वे हवंति मिलिदा य ते तम्हि ॥ ११॥ पंचनवतिशतानि वस्तूनि नवकशतानि त्रिसहस्रप्राभूतानि ।
चतुर्दश पूर्वाणि सर्वाणि भवन्ति मिलितानि च तानि तत्र ॥ ... वत्थू १९५ वत्थू एक प्रति पाहुड २० । पाहुड संख्या ३९००, पाहुड. एकं प्रति पाहुड (पाहुड) २४ जात अनुयोगसंख्या २२, ४६, ४०० अनुयोगे पाहुड संख्या। । चौदह पूर्व के सारी वस्तु और उनके अधिकार भूत सारे प्राभृतों की जोड़ का प्रमाण तथा अनुयोग आदि की संख्याओं का कथन इन चौदह पूर्वो के सम्पूर्ण वस्तुओं का संकलन ( जोड़ ) एक सौ पंचानबे होता है और सम्पूर्ण पाहुडों (प्राभूत) का प्रमाण तीन हजार नौ सौ होते है क्योंकि एक-एक वस्तु में बीस बीस प्राभूत होते हैं। अतः सर्व प्राभूतों का प्रमाण तीन हजार नौ सौ होता है।
एक-एक पाहुड (प्राभूत ) में चौबीस प्राभूत-प्राभूत होते हैं, अतः तीन हजार नौ सौ से गुणा करने पर तिरानबे हजार छह सौ भेद होते हैं। अर्थात् प्राभूत-प्राभृत की संख्या तिरानबे हजार छह सौ होती है । एक-एक प्राभूत-प्राभृत में चौबीस अनुयोग द्वार होते हैं। अर्थात् तिरानबे हजार