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द्वितीय अधिकार
काल | ईश्वर | आत्मा | नियति | स्वभाव जीव | अजीव आस्रव बंध । संवर | निर्जरा | मोक्ष |
स्वतः । | परतः
नास्ति
नियति
काल
जीव |
| अजीव | आस्रव | बंध | संवर | निर्जरा | मोक्ष नास्ति
जीव, अजीव, आस्रव, बंध, संवर, निर्जरा और मोक्ष इन सात पदार्थों का स्वतः नास्ति, परतः नास्ति इसकी चार पंक्ति करना, पुनः काल, ईश्वर, आत्मा, नियति और स्वभाव इन पाँच से गुणा करने से अक्रियावाद के सत्तर भेद होते हैं । १४२४७४५ = ७० ।। २४ ।।
विशेषार्थ प्रथम "नास्तिपद" लिखना, उसके ऊपर जीवादि सात पदार्थ लिखना, उसके ऊपर 'नियति' 'काल' ऐसे दो पद लिखना। इस प्रकार तीनपंक्तियों से गुणा करने पर १४७४२ = १४ भेद नास्ति के साथ होते हैं। इन चौदह भेदों को उपरि कथित सत्तर भेदों में मिला देने से अक्रियावादी के चौरासी भेद होते हैं। __ काल से जीव स्वतः नास्ति, काल से जीव परतः नास्ति इस प्रकार अजीव आदि सात पदार्थों के भेद करने से काल की अपेक्षा १४ (चौदह ) भेद होते हैं। उसी प्रकार ईश्वर, आत्मा, स्वभाव, नियति के भी चौदह-चौदह भेद होते हैं। सारे मिलकर सत्तर भेद होते हैं। इन जीवादि सात पदार्थों का नास्ति के साथ 'नियति' और काल की अपेक्षा चौदह भेद होते हैं उनको मिलाने से अक्रियावादी के चौरासी भेद होते हैं ॥ २५ ॥