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द्वितोय अधिकार
७५ सात भेद हैं। कृति अधिकार में गणनाकृति को मुख्यता है । यह कृति अनुयोग है।
वेदना अनुयोग-अनुभव करने का नाम वेदना है। जिसका वर्तमान में अनुभव किया जाता है, तथा भविष्य काल में जिसका वेदन किया जायग। वह वेदना है। इस कथन के अनुसार ज्ञानावरणादि आठ कर्मों के पुद्गल स्कन्ध को वेदना कहा गया है।
जिस अनुयोग द्वार में आठ प्रकार के कर्मों का निक्षेप, नय, नाम, द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाव, प्रत्यय ( कारण ) स्वामित्व, वेदना, गति, अनन्तर, सन्निकर्ष, परिमाण, भागानुभाग और अल्पबहुत्व इन सोलह अधिकारों के द्वारा वेदन का वर्णन किया गया है वेदना अनुयोग द्वार है । इनका विशेष वर्णन वेदना खंड से जानना चाहिए।
वेदना निक्षेप जो किसी एक निश्चय या निर्णय में क्षेपण करे अर्थात् अनिर्णीत वस्तु का उसके नामादिक के द्वारा निर्णय करावे उसे निक्षेप कहते हैं। उसके नाम, स्थापना, द्रव्य और भाव को अपेक्षा वेदना चार प्रकार को है। ___ कौनसी वेदना किस नय का विषय है उसका कथन करना नय वेदना है, इसके भी नैगम आदि अनेक भेद हैं। ___ नाम वेदना भी एक जीव वेदना एक अजीव वेदना आदि आठ प्रकार को है।
वेदना द्रव्य कर्म वेदना आदि के भेद से वेदना अनेक प्रकार की है।
ज्ञानावरण आदि आठ प्रकार के कर्मों का वेदन कर्म वेदना है। तथा नोकर्म, नोआगम द्रव्य वेदना सचित्त-अचित्त ओर मिश्र के भेद से तीन प्रकार को है। उसमें सचित्त द्रव्य वेदना सिद्ध जीव द्रव्य है । अचित्त द्रव्य वेदना धर्म, अधर्म, आकाश, पुद्गल आदि द्रव्य हैं। मिश्र संसारी जीव है।
एक आकाश प्रदेश में स्थित अनन्तानन्त पुद्गल द्रव्यों का वेदन वा क्षेत्र का वेदन क्षेत्र वेदना है। इसी प्रकार किस काल में, किस भाव से, किन कारणों से कर्म वेदन होता है। कमों के वेदन करने का स्वामी कौन है अर्थात् किस कर्म का कौन वेदन करता है, कर्म का वेदन कैसे होता है, किस गति में कौन से कर्म का वेदन होता है। एक कर्म का