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प्रथम अधिकार
३७ विशेषार्थ दूत वचन-कोई दूत आकर युद्ध के निमित्त भरे स्वर में प्रश्न करे तो पूछने वाले की जीत हो, रिक्त स्वर में प्रश्न करे तो दूसरे को जय हो और दोनों स्वर चलते हुए प्रश्न करे तो दोनों की जय होती है।
प्रश्नकर्ता यदि प्रथम ज्ञाता का नाम उच्चारण कर अनन्तर आतुर ( रोगी ) का नाम उच्चारण करता है तो रोगी "रोग से मुक्त हो जाता है" ऐसा फल कहना चाहिए। यदि पृच्छक रोगी का नाम प्रथम उच्चारण करता है अनन्तर ज्ञाता का तो उसका फल है रोगी की मृत्यु ।
जैसे गुरुदेव मेरा भाई बीमार है, ठीक होगा कि नहीं ? इसमें प्रथम गुरु के नाम का उच्चारण है अतः रोगी अवश्य निरोग होगा। ___ यदि पृच्छक पूछता है "भाई बीमार है, गुरुदेव ठीक कब होगा ?" इसमें आतुर का नाम प्रथम लिया है अतः इस प्रश्न का फल है रोगी का मरण।
पृच्छक जिसके लिए पूछे उसके नामाक्षर सम ( दो, चार, छह इत्यादि ) हो। बायीं नाड़ी बहती हई की तरफ खड़ा होकर पूछे तो अवश्य विजय एवं निरोगता प्राप्त हो । नाम के विषमाक्षर (एक, तीन, पाँच इत्यादि ) वाले के लिए दाहिनी नाड़ी ( श्वास ) बहती हुई में खड़ा होकर पूछे तो शुभ है इससे विपरीत अशुभ है । अर्थात् पराजय, अलाभ, दुःख आदि का सूचक है। इसी प्रकार कोई भूतादि गृहीत हो, रोग से पीड़ित हो, सर्प ने काटा हो, उसके लिए पूर्ववत् विषमाक्षर वाले के लिए दाहिनी नाड़ी और समाक्षर वाले के लिए बायीं नाड़ी की तरफ खड़े होकर पूछना शुभ सूचक है, इससे विपरीत अशुभ है। जिन लोगों की जन्म-पत्री नहीं हो या खो गई हो उनके प्रश्नानुसार जन्म-पत्री बनाना नष्ट प्रश्न कहलाता है।
मुष्टि प्रश्न-कोई आकर पूछता है मेरी मुष्टि में कौन सी रंग की वस्तु है ? यदि प्रश्न के समय मेष लग्न है तो मुट्ठी में लाल रंग की वस्तु, वृष लग्न हो तो पीले रंग की वस्तु, मिथुन लग्न हो तो नीले रंग की वस्तु, कर्क लग्न हो तो गुलाबी रंग को वस्तु, सिंह लग्न हो तो धूम्र वर्ण को, कन्या लग्न हो तो नीले वर्ण की, तुला, धनु एवं मीन लग्न में पीत वर्ण की, वृश्चिक में लाल रंग की तथा मकर एवं कुंभ लग्न में कृष्ण वर्ण की वस्तु होती है। इस प्रकार लग्नेश के अनुसार वस्तु के स्वरूप का प्रतिपादन करना मुष्टि प्रश्न है।