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व्यक्तित्व और कृतित्व चेतना अपने युग की समस्याओं और परिस्थितियों में आवद्ध होकर हैरान तथा परेशान हो जाती है, तभी वह अपनी मुक्ति के लिए मुक्तिदाता की खोज करती है। प्रत्येक महापुरुष अपने युग में विचार, वाणी और कर्म को नया मोड़ देता है, नया रास्ता देता है। किसी भी युग-पुरुप को समझने के लिए उसके व्यक्तित्व का, उसके साहित्य का और क्रिया-कलाप का अध्ययन परम आवश्यक है, अन्यथा उस युगपुरुप को समझने में भूल हो सकती है, भ्रान्ति हो सकती है ।
स्थानकवासी समाज में समय-समय पर अनेक युग-पुरुप हो चुके हैं। समाज को उन्होंने नया कर्म दिया, नयी वाणी दी और नया विचार दिया। यदि उन युग-पुरुषों ने समाज को यह संवल न दिया होता, तो समाज कभी का छिन्न-भिन्न हो गया होता । समाज के एक मात्र आधार वे ही युग-पुरुष होते हैं, जो समय आने पर अपने प्राणों की वाती जलाकर समाज को पालोक प्रदान करते हैं। वे ज्योतिर्मय युग-पुरुप धन्य हैं, जो समाज को पतन के महागत से बचाकर उत्यान के महामार्ग पर ले जाते हैं। युग-पुरुप अपनी समाज का शिव होता , जो स्वयं विपपान करके भी दूसरों को अमृत प्रदान करता है।
स्थानकवासी समाज के युग-पुरुषों की उसी परम्परा में श्रद्धेय कविरत्न, उपाध्याय श्री अमरचन्द्र जी महाराज हैं। इन्होंने समाज को नया विचार, नया चिन्तन, नयी वाणी अोर नयी भाषा दी है। वस्तु-तत्त्व को सोचने-समझने और परखने का नया तरीका एवं नया ढंग दिया है। प्रसुप्त समाज को प्रवुद्ध करने का नया मंत्र और नया नारा दिया है। विखरे समाज को एकता के सूत्र में बाँधने का प्रवल प्रयत्न किया है। समाज के कल्याण के लिए, समाज के विकास के लिए और समाज के संघटन के लिए जो कुछ भी किया जाना उचित था, वह सब कुछ उन्होंने किया है। विचार-क्रान्ति का आन्दोलन खड़ा करके उन्होंने समाज की तरुण शक्ति को नया दिशा-संकेत दिया है।
कवि जी महाराज क्या है ? वे स्थानकवासी समाज के शिव हैं। उन्होंने सदा से समाज को अमृत वाटा है, और अंमृत वाँटने में ही उनका अडिग विश्वास है। उन्होंने अपना तन, मन और