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के सदस्यों, सम्बन्धियों तथा मित्रों के प्रति कृतज्ञतता-ज्ञापन की औपचारिकता नहीं कर मौन भाव से ही उनका उपकार स्वीकार करता हूँ ।
बिहार हिन्दी ग्रन्थ अकादमी के विद्वान अधिकारियों ने वर्तनी के सम्बन्ध में लेखक का आग्रह मान कर विचार की उदारता दिखायी है । लेखक उनके प्रति आभारी है । वर्तनी के सम्बन्ध में प्रस्तुत पुस्तक के लेखक का ध्यान सुविधा की अपेक्षा शुद्धि पर अधिक रहा है । ग्रन्थ के प्रकाशन के लिए हिन्दी ग्रन्थ अकादमी का आभारी हूँ ।
हिन्दी विभाग
पटना विश्वविद्यालय
पटना । १९७२ ई०
- शोभाकान्त मिश्र