________________ उपलब्ध प्रकीर्णकों की सूची में जो तीस प्रकीर्णक विषयवस्तु सूचीबद्ध हैं उनसे पइण्णयसुताइं में सङ्कलित उपलब्ध प्रकीर्णकों में नन्दनमुनि आराधित प्रकीर्णकों से भिन्नता है / इस सूची में दिये गये आराधना (संस्कृत) प्रकीर्णक के अतिरिक्त प्रकीर्णकों के नाम ये हैं - १-आतुर-प्रत्याख्यान- समस्त प्रकीर्णक प्राकृत भाषा में रचे गये हैं, वीरभद्र, 2- गणिविद्या, ३-कुशलाणुबंधि आकार की दृष्टि से सबसे छोटा आराधनाकुलक चतुःशरण-वीरभद्र, ४-चन्द्रवेध्यक, है, जिसमें मात्र 8 गाथाएं हैं और सबसे बड़े ५-तन्दुलवैचारिक, ६-देवेन्द्रस्तव-ऋषिपालित, आकार का अङ्गविद्या है जिसमें 9000 ग्रन्थांक ७-भक्तपरिज्ञा-वीरभद्र, ८-महाप्रत्याख्यान, एवं 60 अधिकार हैं / इनमें आतुरप्रत्याख्यान नाम ९-वीरस्तव, १०-संस्तारक, ११-अङ्गविद्या, के तीन प्रकीर्णक हैं तथा चतुःशरण, आराधना१२-अजीवकल्प, १३-आराधनापताका-वीरभद्र, पताका और मिथ्यादुष्कृत-कुलक शीर्षक से दो१४-गच्छाचार, १५-ज्योतिषकरण्डक-पादलिप्त, दो प्रकीर्णक हैं / १६-तिथिप्रकीर्णक, १७-तीर्थोद्गालिक, प्रकीर्णकों की विषयवस्तु को देखा जाये तो १८-द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, १९-मरणसमाधि, अधिकांश प्रकीर्णक समाधिमरण को प्रतिपादित २०-सिद्धप्राभृत, २१-अचूलिका-यशोभद्र, करते हैं पर समाधिमरण के अतिरिक्त निमित्त, २२-कवचजिनचन्द्र, २३-जीवविभक्ति, मुहूर्त, खगोल, भूगोल, जैन इतिहास, २४-पर्यन्ताराधना, २५-पिण्डविशुद्धिजिनवल्लभ, शरीरविज्ञान, गुरु-शिष्य सम्बन्ध आदि पर प्रकाश २६-वङ्गचूलिका-यशोभद्र, २७-योनिप्राभृत- डालने वाले भी प्रकीर्णक हैं / यहाँ हम उपलब्ध धरसेन, २८-सुप्रणिधान (वृद्ध) चतुःशरण, प्रकीर्णकों की विषयवस्तु का संक्षिप्त उल्लेख २९-सारावली, ३०-जम्बूचरित्र (जम्बूपइन्ना) करेंगे / इसे दो भागों में विभक्त किया गया है / पद्मसूरि / पहले समाधिमरण से सम्बन्धित प्रकीर्णकों का ...जिन प्रकीर्णकों के आगे कर्ता का नाम नहीं है संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत है / उनके कर्ता अज्ञात हैं / इसी लेख में प्रकाशित 1. समाधिमरण-आगममान्य दस प्रकीर्णकों में प्रकीर्णकों की दूसरी सूची में ऋषिभाषित का नाम यह सबसे बड़ा है / इसमें 661 गाथाएँ हैं / भी है पर उसे सामान्य क्रम में नहीं रखा गया है / ग्रन्थकार के अनुसार १-मरण विभक्ति, यदि हम उसे भी मानें तो यहाँ 31 प्रकीर्णक हो जाते २-मरण विशोधि, ३-मरण समाधि, हैं / इनमें से तिथिप्रकीर्णक, अङ्गचूलिका, ४-संल्लेखनाश्रुत, ५-भक्तपरिज्ञा, ६-आतुरकवच, पिण्डविशुद्धि, वङ्गचूलिका, योनिप्राभृत प्रत्याख्यान, ७-महाप्रत्या-ख्यान और एवं जम्बूचरित्र (जम्बूपइन्ना) इन सातों का उल्लेख ८-आराधना, इन आठ प्राचीन श्रुतग्रन्थों के आधार पइण्णयसत्ताई में नहीं है / इन्हें भी शामिल कर लेने पर प्रस्तुत प्रकीर्णक की रचना हुई है / इसमें अन्त पर 36 + 7 = 43 उपलब्ध प्रकीर्णक हो जाते हैं। समय की आराधना का वर्णन है / इसके प्रकीर्णक साहित्य : एक अवलोकन 33