Book Title: Agam Chatusharan Prakirnakam
Author(s): Kirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan
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________________ 276 आराधनापताका कामभडदप्पदलणा, वहाइअट्ठदसदोसपरिहरणा / तिव्वपरीसहसहणा, सगवीसऽणगारगुणभवणा // 259 / / पंचिंदियसंवरणा, विसय-मयट्ठाणविहियरमणा / निव्वडियचरण-करणा, सरणं ते हंतु मम सरणा / / 260 / / आमोसहि-विप्पोसहि-खेलोसहिपमुहलदिसंपना / जिणकप्पिय-ऽहालंदिय-परिहारिय-पडिमपडिवत्रा / / 261 / / केवलिणो मणपज्जवनाणधरा ओहिणो य पुष्वधरा / सूरि-उवझायपमुहा य साहुणो हुंतु मे सरणं / / 262 / / धम्मसरण: इस साहुसरणचंदणरसेण निव्वाधिकण अप्पाणं / पकरेइ धम्मसरणं धरणीयलमिलियभालयलो / / 263 / / जो निवडते सत्ते भवंधकूवम्मि पावकम्मवसा / धारेइ, जिणाभिहिओ सो धम्मो हुज्ज सरणं मे / / 264 / / . ममाणतिमिरसूरो, विसयकसायग्गिसमणजलपूरो / दुग्गइदुहमसमूरो सिवपयकप्पहुमंकूरो / / 265 / / विणय-अहिंसामूलो, विवेग-सम-दाण-सअणुकुलो / पंचमहव्यय-ऽणुव्वयधूलो, पासंडिपडिकूलो / / 266 / / तित्थयर-गणहरत्ताइणेगवरलदिवियरणे सज्जो / कम्मट्ठषाहिविजो, तियसाऽसुरविंदनमणिजी / / 267 / / . संसारऽण्णवपवहण-सिवपहसत्याह-महनिहाणसमो / चिंतामणि-कामगवी-कप्पहुम-भइकुंभवमो // 268 / / निहयनर-मरण-जम्मो, जिणमग्गपवनदिन्नसिवसम्मो। देसियधम्माऽधम्मो, मयणसरपहारवरवम्मो // 269 / / निम्महियपावकम्मो, जीवाइपयत्थपपडणे रम्मो / निंदियमहम्मकम्मो, लहुकम्मणिणाय अभिगम्मो / / 270 // निम्नासियमिच्छत्तो, पपडीकयदेव-धम्म-गुरुतत्तो / सरणं मे जयवित्तो, धम्मो तित्ययरपन्नत्तो / / 271 / / / दुक्कडगरिहा इय घठसरणमणग्धं काउं भवतिक्खदुक्खसंतत्तो / दुग्गइदुवारफरिहं दुमडगरिहं करे इण्डिं / / 272 / / अनाणघेण मए मामलहतेण कहवि जिणसमए / इत्थमवे अनेस य भवेस जे केइ संठविया / / 273 / / आसि कुदेव-गुरुणो कुमम्गदेसण-कुधम्मकहणाई / तित्युच्छेय-कृतित्थयनिम्माणई अमाणाई / / 274 / / नाणाहमम्गलोवो जो को विकओ, तहा कुतत्ताई / जाई परूवियाई ताई सव्वाई गरिहामि / / 275 / / जोइस-विग्मयसत्याण सउणसत्याण कामसत्थाणं / वत्यूविज्लाईणं तह धणुविज्जाइयाणं पि / / 276 / / लक्खण-छंदोऽलंकार-भरहनाडय-पमाण-नीईणं / एमाइकुसत्याण निम्माणं तमिह गरिहामि // 277 / / जिण-सूरि-वायगाणं संघस्स य जं कया मयाऽवना / सत्तेण धम्मकज्जं जं न कयं तं पि गारिहामि / / 278 / / जिणप्रवणपाडणं विवर्मनणं तह य विवगालणयं / बिंब-कलसाइ-पुत्थयविकिणणं जं च कह वि कयं / / 279 / / चेश्य-गुरुपयदव्वं उविक्खियं भक्खियं च मूढेणं / आयाणाणं जं लोवर्ण च विहियं तवं निंदे / / 280 / / मणायरो कमो. जो य पमामो अविही य ज / धम्मस्सुप्पाइया खिसा, उस्सुत्तं च परूवियं / / 281 / / चरित्ते ईसणे नाणे अइयारो य जो कओ / नालोइओ य मुढेणं पायच्छित्तं च नो कर्य / / 282 / / सव्वहा वितहायारं सरामि न सरामि जं / निंदामि तमहं पावं, तस्स मिच्छा मि दुबडं / / 283 / / हरि-करि-करहा, वसहा नरनिवहा जुवा-दविण-गेहाई / आमरण-वत्थमाई अहिगरणकरा मए चत्ता / / 284 / / तह गामाऽऽगरा-नगराऽऽसम-पट्टण-खेड-कव्वाड-मडंबा / दोणमुह-सनिवेसा निगमा य सरायहाणीया / / 285 / / अय-तब-तउय-सीसागरा य नाणविहा य आरामा / के काराविय रोविय इहऽभजम्मे वि ते गरिहे / / 286 / / खित्तगुलबाउवाडी तह सणखित्ताई गुलियखित्ताई / धम्मत्य तरुरोवणपमुह गरिहामि तिविहेणं / / 287 / / पव-सम-कृव-सरोवर-सारणि-पुक्खारणि-विंकुय-कुसिद्धा(?) / अरहट्टय-पावट्ठा जे के वि कया चए ते विं / / 288 / / हल-दंताल-मईए घाणा घाणी य तिणि घरहे / नीसाहुक्खल-मुसले चुल्ही चुलिहत्तए वि चए / / 289 / /
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