Book Title: Agam Chatusharan Prakirnakam
Author(s): Kirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 340
________________ खण्ड-३/परिशिष्ट-१२ 277 - पासाय-हट्ट-खट्टा-पट्टा-सीहासणाई सिज्जाओ / चावर-मसूर-महासणाई विविहाई रच्छाई (2) // 290 / / सुक्खासणाणि वाहिणि-रह-रहकल-सिल्ल-वा (रवो) लिया गती / लंधि-वहिल्लिप्पमुहे जंते यथए तिहा सकए / / 291 / / जलजताए पवहण दुन्नी बेडा वही य कोटिंबे / खरकुयपमुह अणेगे चएमि तिविहेण अहिगरणे / / 292 / / पायार-मार-गोय(उर-खाइय-विज्जारी (?) य तोरणया / टिकुलिय-जंत-सयरी-सयग्धिया-सिल्ल-मला य / / 293 / / तरवारि-कुंत-सव्वल-कडतल-सबली य अदचंदा य / नाराय-गया-लउडी-मोग्गर-कटारिया-खग्गा / / 294 / / भत्था-भत्थी-सिंगिणि-धणु-तोमर-मलि-ठउलिय-मडाला / वारणि-फरी-फराओ ओडणपमुहा उ आवरणा / / 295 / / पक्खर-पल्लाण-गुडा-सनाही-गहि-सिरक-वज्जगी / अंगरखीय-अमाई काहल-नीसाण-दम्मावा // 296 / / कुहाल-परस-कंकस-संडस-पाराइ-कुसि-कुहाडीओ / कुंटी-अहिगरणि-घणा विझण-वसुल्ल-करवत्ता // 297 / / तह विडिस-जाल-वग्गुर-मक्खल-पासे य तह व अहिल्ला / हजीर-नउल-संकल-हडिमाइ अणेगमहिगरणा / / 298 / / विहिया इहऽमजम्मे जे के कारिया अणुमया य / ते सव्वे तिविहेण भावेणं वोसिरे सम्म // 299 / / अत्राणि जाणि काणि वि जिणआणाबाहिराणि विहियाणि / मिच्छतकारणाणि य तेसि मिच्छुकडं इणि / / 300 / / . सुकडाणुमोयणा आह दुकाडगरिहानलमामियकम्मिंधणो पुणो कुणइ / सुकडाणुमोयणं तिव्यसद्धपुलयंधियसरीरो / / 30 / / परकयसुकडाणुमोयणा: घउतीस बुखमहसय अहमहापाडिहेर धम्मकहा / तित्थपवत्तणपभिई अणुमोएमी जिणिदाणं // 302 / / सिद्धत्तमणताणि य वरदसण-नाण-सुक्ख-विरियाणि / इगतीसं सिद्धगुणे मणुमने सव्वसिद्धार्ण / / 303 / / पंचविहं आयारं देस-कुलाईगुणे : उ छत्तीसं / सिस्सेसु अत्थमासणपमुह सूरीण अणुमोए // 304 / / अंगाणं उर्वगाणं पहनसुय-छेय-मूलगंथाणं / उवझायणं अन्झावणाइ- सव्वं समणुमने // 305 / / समिई-गुत्ति-महव्यय-संजम-जाधम्म-गुरुकुलनिवास / उज्जयविहारपमुहं अणुमोए समण-समणीणं / / 306 / / सामइय-पोसहाई अणुव्वयाई जिणिंदविहिपूर्व / एकारपडिमपभिई अणुमने सड्ड-सड्डीण // 307 / / जिणजम्माइस ऊसवकरणं तह महरिसीण पारणए / णिणसासणम्मि भत्तीपमुई देवाण अणुमने / / 308 / / तिरियाण देसविरई पज्जंताराहणं च अणुमोए / सम्मासणलभ अणुमने नारयाण पि // 309 / / सेंसाणं जीवाणं. दाणरुइत्तं सहावविणियत्तं / तह पयणुकसायत्तं परोवगारित भव्यतं // 310 / / दक्खिन-दयालुत्तं पियमासित्ताइविविहगुणनिवई / सिवमग्गकारणं नं तं सव्वं अणुमयं मण्झ // 31 / / स्वकयसकडाणुमोयणा : इय परकपसुकयाण बहूणमणुमोयणा कपा एवं / अह नियसुचरियनियरं सरेमि संवेमरंगेणं / / 12 / / धनो मि जेण पत्ता तिमि य सनाण-दसण-चरित्ता / परिपालणा य विहिया सम्म चरणस्स करणस्स / 33 / / . आयरिय-वायगाणं वायणसूरीण थेर-सेहाणं / खवगाण गिलाणार्ण वेयावर्ड कर्य नं 394|| समिणि गुत्तीणं सत्तरसविहस्स संजमस्स मए / परिपालणं च विहिवं नवगुत्तिसणाहर्बमस्स ||15|| सत्तण्ह मंडलीणं करणं, गहणं घठण्ह कालाणं / समायस्स विहार्ण विणयम्मी में समाहाणं // 396|| कालियस्यस्स गुणणं, अंगाऽणंगसुयजोगवहणं जं / अणहिय-अहीणकरणं पडिलेहावस्मयाईर्ण // 397 / / तह चकवालयसविहसामायारीए पालणं सययं / सिरिधम्मदेसणाए वक्खाणस्स य विहाणाई // 38 // पडिबोहो भव्वाणं अउव्वसत्यावगाहणं सययं / सेहाइयाण परिपाढणं च अगिलाणपाए य / / 19 / /

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