Book Title: Agam Chatusharan Prakirnakam
Author(s): Kirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 317
________________ 254 श्रीचतुःशरणप्रकीर्णकम् आधचरणः चतुःशरणः मूलग्रन्थः | आधचरणः चतुःशरण मूलग्रन्थः गाथा गाथा जिणभवण-बिंब 58 [ ] धीबलिया तवसूरा 33 [ ] जियराग-दोस-मोहेहिं 57 [ ] न कयं दीणुद्धरणं 62 [आरा० पताका०] जीवाइवत्थुचिंतण 48 [आव० हारि०] न कयाइ मए महिमो 62 [आरा० पताका०] जेसिं तु पमाएणं 63 . [उत्तरा० सू०] नरगतिरियमणुय 20 [ ] जो अवमण्णइ संघं 52 [ ] नरय तिरिय कुमाणु 52 [ ] जो समो सव्वभूएसु [आव० नियु०] नवकोडि सहस्साइ 40 . [ ] जो सुणइ सव्वओ 34 [आ०निर्यु०] नाण-दंसण-उवहाण . 58 / जो सुत्तपएण बहुं 34 [आ०निर्यु०] नाना शास्त्र परिश्रमो 11 [प्रव०सारो०] डहरो अकुलीण 51 [नि०भा०] निच्छिन्नसव्वदुक्खा 25 [आव० निर्यु] तत्थ असंपत्तेच्छा ___39 [दशहारि०वृ०] निव्वाणसाहए जोगे 11 [आव० नियु०] तत्थ य जर-जम्मण 36 [ ] नेसप्पे पंडुयए पिंगले; 44 [स्था०सू०६७३] तम्हा उ निम्ममेणं 6 [आव०नियु] पंच निहीओ पन्नत्ताओं 44 [स्था०सू०४८८] तम्हा 63 [उत्तरा० सू०] पञ्चमहव्वया, दुवालस , [ ] तव नियम-नाणवेलो 52 [वि॰आ०भा०] | पञ्चविधाचारकर्ता 32 [.. ] तित्थयर धम्मा 51 [दश० नियु] पडिक्कमणेणं भंते जीवे 5 [उत्तरा० सू०] तित्थयर नाम कम्म 56 [ ] पडिवन्नचरमतणूणो ,16 [ ] तित्थयरेण वि कहिए 20 [ ] पढमेण पंडगवणं 34 [वि॰आ०भा०] ते पुण दुसमय पञ्चा०सू०] पढमेण माणुसुत्तरनगं. 34 [वि०आ०भा०] तेसि नमो तेसि नमो 57 [पञ्चा०सू०] पढमेण नन्दणवणं 34 - [वि०आ०भा०] ते संजयस्स सव्व 32 [वि०आ०भा०] पणतीसं वयणाइसेसा' 18 . [सम०सू०] दव्वमणो जोएणं [ध्या०शवृ०] पणयाल लखजोयण 25 . [बृहत्संग्र०]] दसविहे मिच्छत्ते 51 [स्था० सू०] | पत्तो ताडण बंधण 52 [ दीहकालरयं जंतु 11 [आव० नियु०] |पमाएणं महासूरी 63 / देवा वि तं नमसंति 48 [दश० मू०] परमोहिनाण 32 [वि० आ०भा०] धणओ धणस्थि 44 [धर्म०बि०] परिकम्मं सुत्ताई 33 . [ ] धम्मरहियाण तिजए 44 [ ] पाययभासनिबद्धं 51 [ धारय-गुणिय समीहिय 32 व्यव० भा०] |पितुर्मातुर्धातु 11 [प्रव०सारो०]

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