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गरिमाविहीन आज की वैशाली
डॉ० जगदीशचन्द्र जैन
लगभग पच्चीस वर्ष पहले जब हमने भगवान महावीर की जन्मभूमि वैशाली ( आधुनिक बसाढ़, जिला मुजफ्फरपुर) की भूमि पर पैर रक्खा तो पता चला कि गणराज्य की केन्द्र-स्थली वैभवशाली और बलशाली यह नगरी अपनी शोभा खो चुकी है । सामने राजा विशाल का गढ़ दिखाई दिया, जो टूटे-फूटे ईंट-पत्थरों के समूह से आकीर्ण था । आसपास में सिर उठाये छोटे-मोटे डीह दिखाई पड़ रहे थे, जिनके अंतरंग में न जाने कितने अनजाने रहस्य छिपे हुए थे । दूरतक चली गयी आम्रपंक्तियाँ नगरी की परम शोभा जनपद-कल्याणी अंबापालि की याद ताजा कर रही थीं । इधर-उधर बिखरे हुए पोखर वर्षा के मटियाले जल से पूर्ण थे । आगे चलने पर हम एक ऐसे स्थान पर पहुंचे जहाँ हमें बताया गया कि वहाँ की लगभग दो एकड़ जमीन सैकड़ों वर्षों से बिना जुती पड़ी हुई है । यही स्थान वासुकुंड माना जाता है, जहाँ भगवान महावीर ने जन्म लिया था । यहाँ की ग्रामीण जातियाँ अभी भी महावीर को लड्डू और मेवा आदि चढ़ाती हैं, मांस भक्षण से परहेज करती हैं ।
बुद्ध और महावीर के जमाने में विदेह जनपद की यह राजधानी समृद्धि और वैभव से पूर्ण थी । प्रजा खुशहाल थी । ईख, जौ और धान की प्रचुर खेती होती थी । एक से एक सुन्दर चैत्य यहाँ निर्मित थे, जहाँ साधु-सन्त विहार कर अपने उपदेशों से जनसाधारण का मार्ग-दर्शन करते थे । उदयन, गौतमक, सप्त- आम्रक, बहुपुत्रक, चापाल आदि चैत्यों के नाम बौद्ध सूत्रों में मिलते हैं। ये चैत्य सुन्दर उद्यानों और पुष्करिणियों से घिरे हुए थे । विशाल और गंभीर खाई से घिरी हुई, चक्र, गदा, शतघ्नी और निश्छिद्र कपाटों के कारण यह नगरी शत्रु द्वारा अजेय थी । यहाँ के हाट-बाजारों में चतुर शिल्पियों की भीड़ लगी रहती थी । दूकाने बहुमूल्य वस्तुओं से सज्जित थीं । सुन्दर घोड़े, हाथी, रथ, पालकी और यान- वाहन यहाँ की परम शोभा माने जाते थे । यहाँ की पुष्करिणियों में भाँति-भाँति की रंग-बिरंगी कमलिनियाँ खिलती थीं । पुष्करिणियों का जल पवित्र माना जाता था । पशुपक्षियों से उसकी रक्षा की जाती थी । अभिषेक - पुष्करिणी के जल से गणराजाओं का अभिषेक किया जाता था ।
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महावीर की जन्मस्थली
नदी बहती थी । नदी के तटपर कुंडग्राम अथवा कुंडपुर वैशाली का उपनगर था, जो क्षत्रिय कुंडग्राम और ब्राह्मणबँटा था । पहले में क्षत्रियों और दूसरे में
ब्राह्मणों की
वैशाली में गंडक (गंडकी ( आधुनिक बासोकुंड) नामक कुंडग्राम नामक दो हिस्सों में
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