Book Title: Vaishali Institute Research Bulletin 4
Author(s): R P Poddar
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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Vaishali Institute Research Bulletin No. 4 प्रश्न ही नहीं उठता । सचेल श्रुत में उसका निर्देश मात्र पूर्व परम्परा का स्मारक भर है । उसकी सार्थकता तो अचेल श्रुत में ही सम्भव है ।
__ अतः ये (नाग्न्य परीषह, दंशमशक परीषह और स्त्री परीषह) तीनों परीषह तत्त्वार्थ सूत्र में पूर्ण निर्ग्रन्थ (नग्न) साधु की दृष्टि से अभिहित हुए हैं। अतः 'तत्त्वार्थ सूत्र की परम्परा' निबन्ध में जो तथ्य दिये गये हैं वे निर्बाध हैं और उसे वे दिगम्बर परम्परा का ग्रन्थ प्रकट करते हैं। उसमें समीक्षक द्वारा उठायी गयी आपत्तियों में से एक भी आपत्ति बाधक नहीं है।
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