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Vaishali Institute Research Bulletin No. 3 वर्षा होने लगी। बुद्ध के बैशाली पहुँचने पर शक ने उनका अभिनन्दन किया। देवों के दर्शन होते ही प्रेत भाग चले। संध्या में बुद्ध ने आनन्द को रतनसुत्त का उपदेश कर उन्हें नगर के तीन दीवालों के अन्दर इसका पाठ करने को कहा । आनन्द ने रात्रि के तीन प्रहरों में इसका पाठ किया, जिससे सभी लोग रोग-मुक्त हो गये। बुद्ध ने स्वयं इसका पाठ नागरिकों के बीच लगातार सात दिनों तक किया। तदनन्तर बुद्ध वैशाली से राजगृह के लिए प्रस्थान कर गये ।
संभवत: बुद्ध की इस वैशाली-यात्रा के अवसर पर ही उनके पिता शुद्धोदन का देहावसान हुआ। अपने मरणासन्न पिता को उपदेश देकर अरहत्व की प्राप्ति कराने हेतु बुद्ध ऋद्धिबल से वैशाली से उड़कर कपिलवस्तु पहुँचे । बुद्ध की इसी कपिलवस्तु-यात्रा में महापजापति गोतमी ने भिक्षुणी बनने का अनुरोध किया, किन्तु बुद्ध सहमत नहीं हुए। बुद्ध कपिलवस्तु से वैशाली आये। महापजापति गोमती भी पाँच सौ शाक्य महिलाओं के साथ वैशाली आकर आनन्द की मदद से आठ गुरुधर्मों के साथ भिक्षुणी बनीं।
वैशाली की जो अन्तिम यात्रा कुसीनारा जाने के क्रम में बुद्ध ने की थी, उसका विस्तृत वर्णन महापरिनिर्वाण सुत्त में उपलब्ध है। वैशाली में ठहराव के अन्तिम दिन भोजनोपरान्त विश्राम के लिए बुद्ध चापाल चैत्य गये, जहाँ आनन्द से उन्होंने वैशाली की रमणीयता एवं वहाँ के कुछ महत्त्वपूर्ण चैत्यों का उल्लेख किया। वैशाली में बुद्ध प्रायः महावन की कूटागारशाला में रहा करते थे। किन्तु कभी-कभी वे दूसरे स्थानों पर भी ठहरा करते थे। इस यात्रा का वर्षावास बुद्ध ने वैशाली के पास ही वेलुवगाम में तथा भिक्षुओं ने वैशाली के पास दूसरे स्थानों पर किया । वर्षावास में जाने के पूर्व अम्बपालि ने भिक्षुसंघ के साथ बुद्ध को निमंत्रित किया तथा अपने आम्रवन को उन्हें समर्पित कर दिया।
इसके अतिरिक्त भी बुद्ध कई बार वैशाली आये। वज्जि प्रदेश से होकर दूसरे स्थानों का भ्रमण भी वे प्रायः किया करते थे। उनका यह मार्ग कोशल, मल्ल, काशी, मगध आदि प्रदेशों से होकर था। वैशाली के अतिरिक्त वज्जियों के जिन स्थानों में बुद्ध म्रमण किया करते थे, उनमें उक्काचेल, कोटिगाम, नादिका, वेलुवगाम, भण्डगाम, भोगगाम तथा हत्थिगाम आदि विख्यात थे। इनमें कोटिगाम गंगा के किनारे था। नादिका में गिञ्जकावसथ और गोसिगंसालवन स्थित थे ।५ पुब्बविज्झन वज्जियों का एक गाँव था, जो छन्न का जन्मस्थान था ।६ वग्गुमुदा वज्जियों के राज्य की प्रमुख नदी थी।
१. अं० नि० अ०, भाग-१, पृ० ३५९ २. चुल्लवग्ग, पृ० ३७३-७६ ३. दी०नि०, भाग-२, पृ० ७७-७९ ४. सं०नि०, भाग-४, पृ० २९६-९८ ५. देखें, दी०नि०, भाग-२, महापरिनिब्बाण सुत्त ६. सं०नि०, भाग-३, पृ० ५६ । ७. खु०नि०, भाग-१ (उदान), पृ० ९१
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