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Vaishali Institute Research Bulletin No. 4
की नवविवाहिता पुत्रवधू को वह सुबुद्धि दे कि वह सास-ससुर को दोनों शाम भोजन दे । एक उल्लेख कि यह सास अपने दामाद के प्रायः शाम बाहर बिताने के कारण चितित है १० स्पष्ट करता है कि पारिवारिक मामलों में महिलाएं भी सोचती थीं। लेकिन दूसरी ओर, परिवार में महिलाओं की कार्यकुशलता तथा बुद्धि पर प्रश्नचिह्न लगे मिलते हैं। ऋग्वेद में उल्लेख है कि महिला मस्तिष्क अनुशासन नहीं मानता, उसमें वजन बहुत कम होता है । " पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की स्थिति पर ऐसे कथनों का बड़ा बुरा प्रभाव पड़ा होगा । सतीत्व की उपर्युक्त धारणा एवं उसके आदर्श केवल महिलाओं के ही क्रम में थे । यह पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं की मानसिकता पर पुरुषों के हावी होने का अच्छा एवं सफल साधन बना और इससे निजी संपत्ति बनने में उनको सुविधा हुई । दामाद के लिए सास की चिता यह स्पष्ट करती है कि पारिवारिक मामलों में कुछ महिलाओं को काफी चिंता थी। हालाँकि केवल चिंता करने से क्या हुआ होगा, यह कहना कठिन है । फिर भी सशक्त व्यक्तित्व की महिलाओं के अस्तित्व में प्रतिकूल परिस्थिति में भी व्यक्तित्व के तत्त्वों की भूमिका रही होगी। इन सारी चीजों से समाज में खास तरह का तनावपूर्ण वातावरण व्याप्त हुआ होगा । ९१ ए
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ऋग्वेद में धनार्जन में साध्य-साधन की समस्या का उल्लेख है संबोधित प्रार्थना में वैसे धन की कामना की गयी है जो प्रार्थनाकार को प्रसन्न यह स्पष्ट है कि सभी धन से प्रसन्नता मिले ही, ऐसा नहीं माना गया था । इसी स्रोत में दूसरी जगह सही धन की संपन्नता की कामना की गयी है । यह भी कहा गया है कि नैतिक व्यक्ति अनुचित स्तुति से संपत्ति अर्जित नहीं करता है । ९४ उपर्युक्त सारे कथनों में प्रसन्न बनानेवाले धन, उचित धन तथा धनार्जन में साध्य - साधन के उल्लेख यह स्पष्ट करते हैं कि तत्कालीन समाज में धनार्जन के विहित और अविहित दोनों साधन विद्यमान थे और विहित साधनों से धर्माजन करना सिद्धान्त में अच्छा माना जाता था । इससे स्पष्ट होता है कि अच्छे साधनों से धन एकत्र करने पर सैद्धांतिक रूप से बल देने के परिणामस्वरूप समाज में एक तनाव हुआ, जिसका शिथिलीकरण यह कहकर किया गया कि संपत्ति देवता की कृपा का फल है |
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उषा के लिए
रखे ९२ । इससे
VIII. 2.20 तुलनीय X 34.3
VIII. 33.17 तुलनीय – निजी संपत्ति के उत्तरोत्तर बढ़ते प्रभाव के कारण ऋग्वेद में महिलाओं की आर्थिक अवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा, इसके लिए देखिये हरिश्चन्द सत्यार्थी "सम आस्पेक्ट्स ऑफ वीमेन्स इकॉनॉमिक पोजीशन इन दि ऋग्वेद", इण्डियन हिस्ट्री कांग्रेस वाल्तेयर, 1979, पृ० 121-4
VII. 78.1
VII. 74.3
VII. 32.21
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