Book Title: Upasakdashangasutram
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 30
________________ उपासक- दशाङ्गे आनन्दाध्ययन ॥ १४ ॥ लु अहं वाणियगामे नयरे बहूणं नईसर जाव सयरमवि य णं कुडुम्बरस जाव आधारे, तं एएणं विक्सवेणं अहं समणस्म भगवा महावीरस्म अन्तियं धम्मपष्णतिं उवसम्पजिना णं विहरिचए । तं सेयं खल मा कल्लं जाव जलन्ते विउलं असणं जहा पूरणो जाव जेट्टपुत्तं कुडुम्बे ठवेत्ता तं मित्तं जाव जेट्ठपुत्तं च आपुच्छित्ता कोल्लाए सन्निवसे नायकुलसि पालहमालं पडिलेहिता समणस भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपष्णति उवसम्पजित्ता । णं विहरित्तए । एवं सम्पहइ २ ला कल्लं विउलं तहेव जिमियभुत्तुनरागए तं मित्त जाव विउलेणं पुष्फ ५ सकारेइ । सन्माणेइ २ ना तस्नेय मित्त जाय पुग्ओ जेट्टपुन सहावेइ २ ना एवं वयासी-एवं खलु पुना ! अहं वाणियगामे बहणं राईमर जहा चिन्तियं जाब विहरितए. ते सेयं खलु मम इदाणिं तुमं सयस्स कुडुम्बस्स आलम्बणं ४ ठवेत्ता जाव विहरिनए । तए णं जेट्ठपने आणन्दरस समणोवासगस्स तहत्ति एयम8 विणएणं पडिसुणेइ ॥ तए णं से आणन्दे समणोवासए तस्सेव मित्त जाव पुरओ जेट्टपुतं कडम्बे ठवेइ २ ता एवं वयासी-मा णं देवाणुप्पिया ! तुम्भे अजप्पभिई केइ मम बहसु कज्जेसु जाय आपुच्छउ वा पडिपुच्छ उ वा ममं अट्ठाए असणं वा ४ उवक्खडेउ वा । उवकरेउ वा ॥ तए णं से आणन्दे समणोवासए जेटपुतं मित्त नाई आपुछइ २ तो साओ गिहाओ पडिणिक्खमइ २ ता वाणियगामं नया मज्झं माझेणं निगच्छइ २ ना जेणेव कोल्लाए सन्निवेसे जेणे, नायकुले जेणे| पोसहसाला तेणेव उवागच्छड • ना पोसहसालं पमज्जा २ चा उच्चार पासवणभूमि पडिलेहेइ २ ती देभसंथारयं १४॥ Jain Educatio n al For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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