Book Title: Upasakdashangasutram
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 75
________________ अथ षष्ठमध्ययनम् ॥ ॥छट्ठस्स उक्खेवओ-एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं कम्पिल्लपुरे नयरे सहसम्बवणे उज्जाणे जियसत्तू रायौं कुण्डकोलिए गाहावई पूसा भारिया छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ छ वुड्विपउत्ताओ छ पवित्थरपउत्ताओ छ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं । सामी समोसढे, जहा कामदेवो तहा सावयधम्म । पडिवज्जइ। मच्चैव वत्तव्वया जाव पडिलाभेमाणे विहरइ ( सू. ३५) तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए अन्नया कयाइ पुज्वावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवणिया जेणेव पुढविसिलापट्टए तेणेव उवागच्छइ २ ता नाममुद्दगं च उत्तरिज्जगं च पुढविसिलापट्टए ठवेइ २ ता समणस्स है। भगवओ महावीरल्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ता णं विहरइ, तए णं तस्स कुण्डकोलियस्स समणोवासयस्स एगे देवे अन्तियं पाउभविस्था तए णं से देवे नाममुदं च उत्तरिज्जं च पुढविसिलापट्टयाओ गेण्हइ २ ता सखिड्मिणिं । अन्तलिक्खपडिवन्ने कुण्डकोलियं समणोवासयं एवं वयासी-हं भी कुण्डकोलिया! समणोवासया सुन्दरीणंदेवाणुप्पिया गोसालस्स मछलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती-नस्थि उट्ठाणे इ वा कम्मे इ वा बले इ वा वीरिए इ वा पुरिसक्कारपरक्कमे । इ वा नियया सव्वभावा, मङ्गुली णं समणरस भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्ती अस्थि उट्ठाणे इ वा जाव परक्कमे । |इ वा अणियया सवभावा, तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए तं देवं एवं वयासी-जइ णं देवा ! सुन्दरी गोसालस्स Jain Education International For Personal & Private Use Only S anelibrary.org

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