Book Title: Upasakdashangasutram
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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उपासकदशाङ्गे
५ क्षुलशतका. ऋद्धिनाशान्तोष
॥३६
समाणे अभीए जाव विहरइ, तए णं से देवे चुल्लसयगं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता दोच्चंपि तच्चपि तव भणइ जाव ववरोविज्जसि, तए णं तस्स चुल्लसयगस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्चपि तच्चंपि एवं वुत्तस्म समाणस्स अयमेयारुवे अज्झात्थिए ४-अहो णं इमे पुरिसे अणारिए जहा चुलणीपिया तहा चिन्तेइ जाव कणीयसं जाव आयश्चइ, जाओऽवि य णं इमाओ ममं छ हिरण्णकोडीओ छ निहाणपउत्ताओछबुडिपउत्ताओ छ पवित्थरपउत्ताओ ताओऽवि य णं इच्छइ ममं साओ गिहाओ नीणेत्ता आलभीयाए नयरीए सिङ्घाडग जाब विप्पइरित्तए, तंसेयं खलु ममं एयं पुरिसं गिण्हित्तएत्तिकद्दु उद्घाइए जहा सुरादेवो तहेव भारिया पुच्छइ तहेव कहेइ ५ ( सू. ३३) | सेसं जहा चुलणीपियस्स जाव सोहम्मे कप्पे अरुणासिटे विमाणे उववन्ने , चत्तारि पलिओवमाइं ठिई । सेसं तहेव जाव महाविदेहे वासे सिन्झिहिइ ५ ॥ निक्खवो ॥ ( सू. ३४ )
इइ सत्तमस्स अस्स उवासगदसाणं पञ्चमं अज्झयणं समत्तं पञ्चमं कण्ठयम् ॥ (सू. ३२-३३-३४ )
॥३६॥
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