Book Title: Upasakdashangasutram
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 35
________________ यरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे महाशी विहरइ ताव ता मे सेयं कल्लं जाव जलते अपच्छिममारणन्तियसलेहणाझूसणाझसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स कालं अणवकमाणस्स विहरित्तए, एवं सम्पेहेइ २ ता । कल्लं पाउ जाव अपच्छिममारणन्तिय जाव कालं अणवकमाणे विहरइ ॥ तए णं तस्स आणन्दस्स समणोवासगस्स अन्नया कयाइ सुभेणं अज्झवसाणेणं सुभेणं परिणामेणं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं तदावरणिजाणं कम्माणं । गं ओहिनाणे समप्पन्ने, परस्थिमेणं लवणसमहे पश्चजोयणसइयं खेत्तं जाणइ पासइ, - एवं दक्षिणेणं पञ्चत्थिमेण य, उत्तरेणं नाव चुल्लहिमवन्तं वासधर पवरं जाणइ पासइ, उट्ठे जाव सोहम्मं कप्पं जाणइ पासइ, अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुयं नस्यं चउरासीइवास सहरसटिइयं जाणइ पासइ ॥ सू० १४ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए, परिसा निग्गया, जाव पडिगया, तेणं कालेणं। तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अन्तेवासी इन्दभूई नामं अणगारे गोयमगोत्तेणं सत्तुस्सेहे सम-2 चउरंससंठाणसंठिए वज्जरिसहनारायसङ्घयणे कणगपुलगनिघसपम्हगोरे उग्गतवेदित्ततवे तत्ततवे घोरतवे महातवे उराले घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबम्भचेरवासी उच्छूटसरीरे सवित्तविउलतेउलेसे छठें छट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं । तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ । तए णं से भगवं गोयमे छक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ बिइयाए पोरिसीए झाणं झायइ, लइयाए पोरिसीए अतुरियं अचवलं असम्भन्ते मुहपत्तिं पडिलेहेइ २ ता भायणवत्थाई jain Educatio n al For Personal &Private Use Only H djainelibrary.org

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