Book Title: Upasakdashangasutram
Author(s): Abhaydevsuri, 
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 64
________________ उपासकदशाओं ३चुलनीपित्रध्य० ॥३१॥ सत्तमस्स अस्स उवासगदसाणं बीयं अज्झयणं समत्तं ॥ 'निक्खेवओत्ति निगमनवाक्यं वाच्यं, तच्चेदं एवं खलु जम्बू ! समणेणं जाव सम्पत्तेणं दोच्चस्स अज्झयणस्स अयमद्वे |पण्णत्तेत्ति बेमि ॥ (सू. २६) ॥ इति उपासकदशानां द्वितीयाध्ययनविवरणं समाप्तम् ॥ अथ तृतीयमध्ययनम् ॥ उक्खेवो तइयस्स अज्झयणस्स-एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरी, काट्ठए | शाचेहए जियसत्त राया। तत्थ णं वाणारसीए नगरीए चलणीपिया नाम गाहावई परिवसह अडेजाव अ अपारभूए, Mसामा भारिया, अट्ठ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ अट्ठ वुपिउत्ताओ अट्ठ पवित्थरपउत्ताओ अट्ठ वया दसगा- In.. साहस्सिएणं वएणं जहा आणन्दो राईसर जाव सब्वकज्जवट्टावए यावि होत्था, सामी समोसढे, परिसा निग्गया, चुलणीपियावि जहा आणन्दो तहा निग्गओ, तहेव गिहिधम्मं पडिवजइ, गोयमपुच्छा तहेव सेसं जहा कामदेवस्स जावी Jain Education International For Personal &Private Use Only www.jainelibrary.org

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