Book Title: Suyagadanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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. श्री सूयगडांग सूत्र श्रुतस्कंध २
"माया विजएणं भंते ! जीवे किं जणयइ ? माया विजएणं अजवं जणयइ। मायावेयणिज कम्मंण बंधइ, पुयबद्धं च णिजरेइ। ॥६९ ॥"
अर्थ - हे भगवन् ! माया का विजय (त्याग) करने से जीव को किस फल की प्राप्ति होती है ?
उत्तर - माया का त्याग करने से सरलता की प्राप्ति होती है। मायावेदनीय कर्म का बन्ध नहीं होता है और पूर्व बन्धा हुआ हो तो उसकी निर्जरा हो जाती है। किसी हिन्दी कवि ने कहा है -
शद्धि सरल की होत है, धर्म उसी को होत। शीघ्र लहे निर्वाण को, घी सींची ज्यों ज्योत॥
अहावरे बारसमे किरिय-टाणे लोभ-वभिए ति आहिज्जइ । जे इमे भवंति, तंजहा-आरणिया, आवसहिया, गामंतिया, कण्हुई-रहस्सिया, णो बहु-संजया णो बहु-पडि-विरया, सव्व-पाण भूय जीव-सत्तेहिं ते अप्पणो सच्चा-मोसाइं एवं विउंतिअहं ण हंतव्यो अण्णे हंतव्वा, अहं ण अज्जावेयव्यो अण्णे अज्जावेयव्या, अहं ण परिघेतव्यो, अण्णे परिघेतव्वा, अहं ण परितावेयव्यो, अण्णे परितावेवव्या, अहंण उहवेयव्यो, अण्णे अवेयव्वा । एवमेव ते इत्थि-कामेहिं मुच्छिया, गिद्धा, गठिया, गरहिया, अझोववण्णा जाव वासाइंघउ-पंचमाइंछ-इसमाई अप्पयरो वा, भुन्जयरो वा, भुंजित्तु भोग-भोगाई, काल-मासे कालं किच्चा अण्णयरेसु आसुरिएस किब्बिसिएस ठाणेसु उववत्तारो भवंति । तओ विप्पमुच्चमाणे भुज्जो भुज्जो एलमूयत्ताए तमूयत्ताए जाइ-मूयत्ताए पच्चायति । एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज्जति आहिज्जा । दुवालसमे किरिय-ठाणे लोभ-वत्तिए त्ति आहिए । इच्छयाई दुवालस किरिय-ट्ठाणाइं दविएणं समणेण वा माहणेण वा सम्मं सु-परिजाणियच्चाई भवंति ॥२८॥ . कठिन शब्दार्थ - आरणिया - आरण्यक-वन में निवास करने वाले, आवसहिया - आवसथिक-कुटी बना कर निवास करने वाले, गामंतिया - गांव के समीप रहने वाले, कणइवहरिमायारहस्यमय साधना करने वाले, बहुसंजया - बहुसंयमी, बहु-पडिविरया - बहुप्रतिविरत-सा से निवृत्त, सच्चामोसाई- सत्य मृषा, अज्जावेयव्यो - आज्ञापनीय-आज्ञा देने योग्य, परिवेतव्यो- दास होने योग्य, परितावेयव्यो - परितापनीय, उद्दवेयव्यो - उपद्रव (मारे जाने) के योग्य, आसुरिएस- असुर लोक में, किब्बिसिएस - किल्विषिक, एलमूयत्ताए - बकरे की तरह गूंगा, तमुयत्ताए - जन्मान्ध, बाइयत्ताएजन्म से गूंगा।
भावार्थ - कोई पाखण्डी जंगल में निवास करते हैं और कन्द मूल पाल खार जना निर्वाह
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