Book Title: Suyagadanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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अध्ययन २
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अर्थ मनुष्य जो आहार करता है क्रमशः शरीर में उसकी ये सात धातुएँ बनती हैं १. रस २. रक्त ३. मांस ४. मेद (चर्बी) ५. अस्थि (हड्डी) ६. मज्जा (एक प्रकार का तरल पदार्थ जो हड्डी के मध्य में होता है) ७. शुक्र (वीर्य - सब धातुओं का सार, शरीर का राजा) ।
निर्ग्रन्थ प्रवचन के प्रति श्रावकों की इतनी दृढ़ता होनी चाहिए तथा धन, कुटुम्ब, परिवार आदि के प्रति जो अनुराग होता है उससे भी अधिक अनुराग निर्ग्रन्थ प्रवचनों पर होना चाहिये ।
"अचियत्तंतेउरघरपवेसा" इसका अर्थ है राजा के अन्तःपुर में तथा राजभण्डार में किसी भी पुरुष को जाने की इजाजत नहीं होती है किन्तु अरिहन्तों के उपासक श्रावक ऐसे विश्वसनीय और प्रतीतकारी होते हैं कि वे राजा के अन्तःपुर में अथवा या राजा के खुले खजाने में चले जाय। तो भी उन पर किसी प्रकार का अविश्वास नहीं किया जाता है। अर्थात् वे ब्रह्मचर्य ( लंगोट) और हाथ के इतने सच्चे होते हैं कि उन पर किसी प्रकार का अविश्वास नहीं किया जाता है। कहा भी है
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जिह्वा, कर, कचोटडी तीन वस्तु को धरन्त ।
जो नर हिंडे मलकंता तो दुर्जन कहा करंत ॥
अर्थ - वचन का सच्चा, हाथ का सच्चा और लंगोट (ब्रह्मचर्य) का सच्चा । इन तीन वस्तुओं में जो सच्चा दृढ़ है वह चाहे शत्रुओं के बीच में आनन्द पूर्वक झूले में झूलता रहे तो भी शत्रु उसका कुछ भी बिगाड़ नहीं कर सकते हैं।
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• मूल पाठ में अरिहन्तोपासकों के ऐसे अनेक विशेषण दिये हैं ।
· इच्चेएहिं बारसहिं किरियाठाणेहिं वट्टमाणा जीवा णो सिंग्झिंसु णो बुझिंसु, णो मुच्विंसु, णो परिणिव्वाइंसु, जाव णो सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा, जो करेंति वा णो करिस्संति वा ॥
एयंसि चेव तेरसमे किरियाठाणे वट्टमाणा जीवा सिज्झिंसु, बुज्झिंसु, मुच्छिंसु, परिणिव्वाइंस, जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा करंति वा करिस्संति वा । एवं से भिक्खु आयट्ठी आयहिए, आयगुत्ते, आयजोगे, आयपरक्कमे, आयरक्खिए, आयाणुकंपए, आय- णिप्फेडए, आयाणमेव पडिसाहरेज्जासि तिबेमि । ४२ ।
. इति विणयसुयक्खंधस्स किंरियाठाणं णामं बीयमज्झयणं समत्तं ।।
कठिन शब्दार्थ - आयजोगे - आत्मयोगी, आयपरक्कमे आत्म पराक्रमी - आत्मा के लिए पराक्रम करने वाला, आय- णिप्फेडए - आत्म निष्फेटक ( आत्म रक्षक) आत्मा की रक्षा करने वाला, पडिसाहरेज्जासि - पापों से निवृत्त करे ।
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