Book Title: Suyagadanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
अध्ययन ३
वृक्षों में भी चार आलापक कहने चाहिये परन्तु जल योनिक वृक्ष से जो वृक्ष उत्पन्न होते हैं उनमें एक ही आलापक (विकल्प) होता है शेष तीन विकल्प नहीं होते हैं ।
Jain Education International
१०१
अहावरं पुरक्खायं इहेगझ्या सत्ता उदगजोणिया उदगसंभवा जाव कम्मणियाणेणं तत्थवुक्कमा णाणा- विहजोणिएसु उदएसु उदगत्ताए, अवगत्ताए, पणगत्ताए, सेवालत्ताए, कलंबुगत्ताए, हडत्ताए, कसेरुगत्ताए, कच्छभाणियत्ताए, उप्पलत्ताए, पउमत्ताए, कुमुयत्ताए, णलिणत्ताए, सुभगत्ताए, सोगंधियत्ताए, पोंडरियमहा-पोंडरित्ताए, * सयपत्तत्ताए, सहस्सपत्तत्ताए, एवं कल्हार-कोंकणयत्ताए, अरविंदत्ताए, तामरसत्ताए, भिसभिस- मुणालपुक्खलत्ताए, पुक्खलच्छिभगत्ताए, विउट्टंति, ते जीवा तेसिं णाणाविहजोणियाणं उदगाणं सिणेह-माहारेंति, ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि यं णं तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं जाव पुक्खलच्छिभगाणं सरीरा णाणावण्णा जावमक्खायं, एगो चेव आलावगो ॥ ५४ ॥
भावार्थ - इस पाठ में जल में उत्पन्न होने वाली वनस्पतियों का वर्णन किया है। उनमें कमल, तामरस, शतपत्र, सहस्रपत्र, आदि प्रायः कमल के ही जाति विशेष हैं परन्तु अबक, पनक, और शैवाल आदि अन्य जाति की वनस्पतियां हैं। इनका आकार और व्यावहारिक नाम लोक व्यवहार से जान लेना चाहिये ॥ ५४ ॥
अहावरं पुरक्खायं इहेगइया सत्ता तेसिं चेव पुढवीजोणिएहिं रुक्खेहिं रुक्खजोणिएहिं रुक्खेहिं रुक्खजोणिएहिं मूलेहिं जाव बीएहिं रुक्खजोणिएहिं अज्झारोहेहिं अझारोहजोणिएहिं अझारुहेहिं अझारोहजोणिएहिं मूलेहिं जाव बीएहिं पुढवीजणिएहिं तहिं तणजोणिएहिं तणेहिं तणजोणिएहिं मूलेहिं जाव बीएहिं एवं ओसहीहिवि तिणि आलावगा, एवं हरिएहिवि तिण्णि आलावगा, पुढवीजोणिएहिवि आएहिं काहिं जाव कूरेहिं उदगजोणिएहिं रुक्खेहिं रुक्ख जोणिएहिं रुक्खेहिं रुक्खजोणिएहिं मूलेहिं जाव बीएहिं एवं अज्झारुहेहिवि तिणिण तणेहिंपि तिण्णि आलावगा, ओसहीहिंपि तिणि, हरिएहिंपि तिण्णि, उदगजोणिएहिं उदएहिं अवएहिं जाव पुक्खलच्छिभएहिं तसपाणत्ताए विउट्टंति ।। ते जीवा तेसिं पुढवीजोणियाणं उदग- जोणियाणं रुक्खजोणियाणं अज्झारोहजोणियाणं तणजोणियाणं ओसहीजोणियाणं हरियजोणियाणं रुक्खाणं अज्झारुहाणं तणाणं ओसहीणं हरियाणं मूलाणं जाव बीयाणं आयाणं कायाणं जाव कुरवाणं (कूराणं) उदगाणं अवगाणं
For Personal & Private Use Only
:
www.jainelibrary.org