Book Title: Suyagadanga Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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श्री सूयगडांग सूत्र श्रुतस्कंध २
जाव पुक्खलच्छिभगाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि य णं तेसिं रुक्खजोणियाणं अज्झा-रोहजोणियाणं तणजोणियाणं ओसहिजोणियाणं हरिय- जोणियाणं मूलजोणियाणं कंदजोणियाणं जाव बीयजोणियाणं आयजोणियाणं कायजोणियाणं जाव कूरजोणियाणं उदगजोणियाणं अवगजोणियाणं जाव पुक्खलच्छिभगजोणियाणं तसपाणाणं सरीरा णाणा-वण्णा जावमक्खायं । ५५ ॥
भावार्थ - श्री तीर्थंकर देव ने वनस्पति काय के भेद और भी कहे हैं । इस जगत् में कोई जीव उन पृथिवीयोनिक वृक्षों में, वृक्षयोनिक वृक्षों में, वृक्षयोनिक मूल से लेकर बीज पर्यन्त अवयवों में, वृक्षयोनिक अध्यारुह वृक्षों में, अध्यारुहयोनिक अध्यारुहों में, अध्यारूहयोनिक मूल से लेकर बीज तक अवयवों में, पृथिवीयोनिक तृणों में, तृणयोनिक तृणों में, तृणयोनिक मूल से लेकर बीज पर्यन्त अवयवों में इसी तरह औषधी तथा हरितों के विषय में भी तीन-तीनं बोल कहने चाहिए । पृथ्वीयोनिक आय (आर्य) काय तथा कूर वृक्षों में, उदकयोनिक वृक्षों में, वृक्षयोनिक वृक्षों में, वृक्षयोनिक मूल और बीजों में इसी तरह अध्यारुहों में, तृणों में और औषधि तथा हरितों में भी तीन तीन बोल कहने चाहिए । उदकयोनिक उदक अवक और पुष्कराक्षों में त्रस प्राणी के रूप में उत्पन्न होते हैं। वे जीव उन पृथ्वीयोनिक वृक्षों के, उदकयोनिक वृक्षों के, वृक्षयोनिक वृक्षों के, अध्यारुहयोमिक वृक्षों के एवं तृणयोनिक औषधियोनिक हरितयोनिक वृक्षों के तथा वृक्ष, अध्यारुह, तृण, औषधि, हरित, मूल, बीज, आयवृक्ष कायवृक्ष कूरवृक्ष एवं उदक, अवक, तथा पुष्कराक्ष वृक्षों के स्नेह का आहार करते हैं । वे जीव पृथिवी आदि शरीरों का भी आहार करते हैं । उन वृक्षों से उत्पन्न तथा अध्यारुहों से उत्पन्न और तृणों से उत्पन्न एवं औषधियों से उत्पन्न, हरितों से उत्पन्न, मूलों से उत्पन्न, कन्दों से उत्पन्न, बीजों से उत्पन्न, आय (आर्य) वृक्षों से उत्पन्न, कायवृक्षों से उत्पन्न, कूर वृक्षों से उत्पन्न, उदक से उत्पन्न, अवक् से उत्पन्न और पुष्कराक्ष से उत्पन्न त्रस प्राणियों के नाना वर्ण वाले दूसरे शरीर भी कहे गये हैं ॥ ५५ ॥
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विवेचन - उपरोक्त सूत्रों में शास्त्रकार ने वनस्पतिकाय के जीवों के बीज, वृक्ष आदि भेदों की उत्पत्ति, स्थिति, संवृद्धि और आहार की प्रक्रिया का विस्तृत वर्णन किया है।
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वनस्पतिकाय जीवों के मुख्य प्रकार - वनस्पतिकाय जीवों के यहाँ मुख्य रूप से इन भेदों का उल्लेख किया है - बीजकायिक, पृथ्वीयोनिक वृक्ष, वृक्षयोनिक वृक्ष, वृक्ष योनिक वृक्षों में वृक्ष, वृक्ष योनिक वृक्षों में उत्पन्न मूल आदि से लेकर बीज तक, वृक्ष योनिक वृक्षों में उत्पन्न अध्यारुह, वृक्ष योनिक अध्यारुहों में उत्पन्न अध्यारुह, अध्यारुह योनिकों में उत्पन्न अध्यारुह, अध्यारुह योनिक अध्यारुहों में उत्पन्न मूल से लेकर बीज तक अवयव, अनेकविध पृथ्वीयोनिक तृण पृथ्वीयोनिक तृणों में उत्पन्न तृण और तृणयोनिक तृणों में उत्पन्न तृण, तृणयोनिक तृणों में मूल से लेकर बीज तक अवयव तथा औषधि हरित, अनेकविध पृथ्वी में उत्पन्न आय (आर्य), वाय से लेकर कूट तक वनस्पति, उदक
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