Book Title: Subhashit Manjari Purvarddh
Author(s): Ajitsagarsuri, Pannalal Jain
Publisher: Shantilal Jain

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Page 12
________________ ८ पृष्ठ श्लोक इ १६ इद शरीर परिणाम दुर्बन ४६ इन्द्राहमिन्द्र तीर्थेश १०२ इतो हीनदत्त १२७ इन्द्रिय रिग न गुप्तानि ७० इच्छति शती सहस्त्र ctur ई १२ ईगो यदि वाज्ञानाद् १८६ ईक्षोर क्रमण पर्वणि ७ एकापि समय ५३ एन क्षमा वता दोप १२७ एवं प्रति दिन यस्य उ ५८ उत्तमस्य क्षरण कोपो ७५ उद्भूता. प्रथयन्ति मोहमसम ६७ उप्काले जलदद्यात् १८२ उदये सविता रागी

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