Book Title: Subhashit Manjari Purvarddh
Author(s): Ajitsagarsuri, Pannalal Jain
Publisher: Shantilal Jain

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Page 10
________________ पृष्ठ श्लोक __ (अ) असित गिरि समस्यात्कज्जल सिन्धु पात्रे १० अकुण्ड गोलक श्राद्ध ११ अतिबालोऽतिवृद्धश्च २० अनादर यो वितनोति धम २२ अत्यन्त विशदा कीर्ति २७ अपि बालाग्र मात्रेण ३१ अवद्यमुक्त पथि यः प्रवर्तते ३२ प्राज्ञानान्धतम स्तोम ३४ अनघरत्नत्रय सम्पदोऽपि ३५ अक्षस्तेन सुदुर्धरा ५५ अवुद्धिमाश्रिताना च ५५ अपकारिणि चेत्क्रोध ५६ अपकुर्वति कोपश्चेत् ६३ अर्थादौ प्रचुरप्रपञ्चरचनै ७३ अर्थ कस्सोनों न भवति ७३ अविश्वास निदानाय ६६ अभयाहारभैषज्य

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