Book Title: Sramana 1990 04
Author(s): Sagarmal Jain
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

View full book text
Previous | Next

Page 25
________________ ( २३ ) इन ग्रंथों के पश्चात् श्वेताम्बर परम्परा में अनेक तीर्थमालायें एवं चैत्यपरिपाटियाँ लिखी गईं जो कि तीर्थ सम्बन्धी साहित्य की महत्त्वपूर्ण अंग हैं | ये अधिकांशतः परवर्ती अपभ्रंश एवं प्राचीन मरु-गुर्जर में लिखी गई हैं । इन तीर्थ मालाओं और चैत्यपरिपाटियों की संख्या शताधिक है और ये ग्यारहवीं शताब्दी से लेकर सत्रहवीं - अठारवीं शताब्दी तक निर्मित होती रही हैं । इन तीर्थमालाओं तथा चैत्यपरिपाटियों में कुछ तो ऐसी हैं जो किसी तीर्थ विशिष्ट से ही सम्बन्धित हैं और कुछ ऐसी हैं जो सभी तीर्थों का उल्लेख करती हैं । ऐतिहासिक दृष्टि से इन चैत्य परिपाटियों का अपना महत्त्व है, क्योंकि ये अपने - अपने काल में जैन तीर्थों की स्थिति का सम्यग् विवरण प्रस्तुत कर देती हैं । इन चैत्यपरिपाटियों में न केवल तीर्थक्षेत्रों का विवरण उपलब्ध होता है, अपितु वहाँ किस-किस मन्दिर में कितनी पाषाण और धातु की जिन प्रतिमाएँ खंडिल - डिडूआणय नराण हरसउर खट्टऊदेसे । नागरमुव्विति संभरिदेसंमि वंदेमि ॥२४॥ पल्ली संडेरय-नाणएसु कोरिट-भिन्नमाल्लेलेसु । वंदे गुज्जरदेसे आहाडाईसु मेवाडे || २५ | उन एस-किराडhए वि जयपुराईसु मरुमि वंदामि । सच्चउर गुड्डु रायसु पच्छिमदेसंमि वंदामि ॥२६॥ थारा उद्दय-वायड - जालीहर-नगर-खेड- मोढरे । अणहिलवाडनयरे वड्डावल्लीयं बंभाणे ||२७|| नियकलिकालमहियं सायसतं सयलवा इथं भणए । थंभणपुरे कथवासं पासं वंदामि भत्तीए ॥ २८ ॥ कच्छे भरुयच्छंमि य सोरट्ठ- मरहट्ठ-कु कण- थलीसु । कलिकुण्ड-माणखेडे दक्षि ( क्खि ) णदेसंमि वंदामि ॥ २९ ॥ धारा- उज्जेणीसु य मालवदेसंमि वंदामि । वंदामि मणुयविहिऐ जिणभवणे सव्त्र देसेसु ||३०|| भर (मि) मणुयविहिया महिया मोहारिमहिय माहप्पा | सिरिसिद्ध सेणसूरीहि संया सिवसुहं देतु ||३२|| -Discriptive Catalogue of Mss in the Jaina Bhandars at Pattan-G.O.S. 73, Baroda 1937 p. 56 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118