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इसी प्रकार जिस शरीर में ऊपर का भाग हीन हो, वह
४. कुब्ज
संस्थान से युक्त व्यक्तित्व के लक्षण :
जिस व्यक्ति के छाती, पीठ, पेट आदि अवयव टेढ़े हों लेकिन हाथ, पैर, सिर, गर्दन आदि अवयव ठीक हों, वह कुब्ज संस्थान से युक्त व्यक्तित्व वाला है |
राजवार्तिक में पीठ पर पुद्गल पिण्डोंवाले अर्थात् कुबड़ापन वाले व्यक्ति को कुब्ज संस्थान से अभिहित किया गया है ।
( ४३ )
नाभि के नीचे का भाग पूरिपूर्ण और सादि संस्थान है । '
५. वामन संस्थान से युक्त व्यक्तित्व के लक्षण :
जिस व्यक्ति के छाती, पीठ, पेट आदि अवयव पूर्ण हों, पर हाथ, पैर आदि अवयव छोटे हों, उसे वामन संस्थान कहते हैं ।
जैन परम्परा में सभी अंग - उपांगों के छोटा होने वाले व्यक्ति को वामन संस्थान वाला बताया गया है । ३
६. हुण्डक संस्थान से युक्त व्यक्तित्व के लक्षण :
जिस व्यक्ति के शरीर के समस्त अवयव बेढब हों, वह हुंडक संस्थान वाला व्यक्ति है । राजवार्तिक में जिस व्यक्ति के सभी अंग और उपांगों की रचना बेतरतीब, या हुंडक की तरह है उसे हुंडक संस्थान वाला व्यक्ति कहा गया है । इस संस्थान से युक्त व्यक्तित्व का उदाहरण हमें अष्टावक्र ऋषि में देखने को मिलता है ।
१.
३.
४.
स्वातिर्वल्मीक; शाल्मलिर्वाः तस्य संस्थानमिव संस्थानं यस्य शरीरस्य तत्स्वाति शरीर संस्थानम् । अहो विसालं उदरि सण्णमिदिजं उत्तं होदि | धवला ६।१, ९-१, ३४।७११४
पृष्ठ प्रदेश भाविबहुपुद्गलप्रचय विशेषलक्षणस्य निर्वर्तकं कुब्जसंस्थाननाम् । राजवार्तिक पृ० ५७७ ।
सर्वाङ्गोपाङ्हस्वव्यवस्थाविशेषकारणं वामनसंस्थाननाम |
वही ।
सर्वाङ्गोपाङ्गानां हुण्डसंस्थितत्वात्हुण्ड संस्थाननाम |
वही ।
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